इस प्रक्रिया के पहले चरण में ओपीडी, आईपीडी, निजी वार्ड के बिल और डिस्जार्च पेपर को ऑनलाइन किया जाएगा। जो १५ अगस्त से पहले हो जाएंगे। इसके बाद दूसरे चरण में मेटरनिटी वार्ड, पैथालॉजी, जिला अस्पताल के सभी वार्ड में भर्ती मरीजों की जानकारी, स्टोर, दवाई केंद्र सहित सभी ऑनलाइन किए जाएंगे।
यह होगा मरीज को फायदा
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में मरीज को ओपीडी पर्ची पर एक यूनिक आईडी दिया जाएगा। और उसके मोबाइल नंबर भी लिए जाएंगे। जो ऑनलाइन हो जाएगा। इससे अन्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल में भी मरीज जाएगा तो उस यूनिक आईडी से उसको पूरी जानकारी वही मिल जाएगी। वहीं यदि मरीज पांच माह या उससे भी लंबे समय बाद जिला अस्पताल पहुंचा तो वह यूनिक आईडी देगा तो पुरानी हिस्ट्री भी सामने आएगी। ताकि उसके उपचार में और मदद मिल सके।
यह होगा मरीज को फायदा
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में मरीज को ओपीडी पर्ची पर एक यूनिक आईडी दिया जाएगा। और उसके मोबाइल नंबर भी लिए जाएंगे। जो ऑनलाइन हो जाएगा। इससे अन्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल में भी मरीज जाएगा तो उस यूनिक आईडी से उसको पूरी जानकारी वही मिल जाएगी। वहीं यदि मरीज पांच माह या उससे भी लंबे समय बाद जिला अस्पताल पहुंचा तो वह यूनिक आईडी देगा तो पुरानी हिस्ट्री भी सामने आएगी। ताकि उसके उपचार में और मदद मिल सके।
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में मरीज को ओपीडी पर्ची पर एक यूनिक आईडी दिया जाएगा। और उसके मोबाइल नंबर भी लिए जाएंगे। जो ऑनलाइन हो जाएगा। इससे अन्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल में भी मरीज जाएगा तो उस यूनिक आईडी से उसको पूरी जानकारी वही मिल जाएगी। वहीं यदि मरीज पांच माह या उससे भी लंबे समय बाद जिला अस्पताल पहुंचा तो वह यूनिक आईडी देगा तो पुरानी हिस्ट्री भी सामने आएगी। ताकि उसके उपचार में और मदद मिल सके।