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ड्रग इंस्पेक्टर छुट्टी पर मेडिकल स्टोर संचालकों की मौज

locationमंदसौरPublished: Jun 09, 2019 12:13:00 pm

Submitted by:

Nilesh Trivedi

ड्रग इंस्पेक्टर छुट्टी पर मेडिकल स्टोर संचालकों की मौज


मंदसौर.
कुछ दवाईयों का उपयोग लोग नशे के रूप में करते हैं, तो कुछ दवाईयां प्रतिबंधित है। ऐसी दवाईयां बिना चिकित्सक के लिखे मेडिकल स्टोर संचालक द्वारा देना नियम के विरूद्ध है। लेकिन अगर आप मंदसौर जिले में हैं तो आपको किसी भी प्रकार की दवाईयां बिना दिक्कत के मिल जाएगी। क्योंकि यहां कोईरोकने और टोकने वाला नहीं है। मेडिकल स्टोरों पर निरीक्षण के अभाव में संचालक मोटी कमाई करने के चक्कर में अपनी मनमानी चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जिसका मुख्य कारण जिले में ड्रग इंस्पेक्टर नहीं होना है। ऐसे में जहां मेडिकल संचालक चांदी काट रहे हैं। वहीं भोले भाले मरीज ठगी का शिकार हो रहे हैं।

ड्रग इंस्पेक्टर लंबी छुट्टी पर होने के कारण शहर ही नहीं बल्कि जिलेभर के मेडिकल स्टोर संचालकों की चांदी हो गई है। क्योंकि निरीक्षण के अभाव में वे मनमर्जी से मरीजों को दवाईयां देकर मोटी कमाई करने में जुटे हैं। ऐसे में भोले भाले मरीज महंगी दवाईयां ले जाने के बाद जब सेहत में कोई सुधार नहीं होता है तो चिकित्सक को कौसते नजर आते हैं। यह समस्या पिछले एक साल से चल रही है। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

ड्रग इंस्पेक्टर चाईल्ड केयर लिव पर
ड्रग इंस्पेक्टर का काम है कि वे समय समय पर मेडिकल स्टोरों पर पहुंचकर जांच करे कि वहां मरीजों को दी जाने वाली दवाईयां मानकों पर खरी उतर रही है या नहीं, प्रतिबंधित दवाईयां तो नहीं बेची जा रही, एक्सपायरी डेट की दवाईयां तो नहीं बेची जा रही आदि। जिले में ड्रग इंस्पेक्टर के रूप में डॉ पूजा भाभर पदस्थ हैं। लेकिन पहले वे करीब ६ माह तक मेटरनिटी लिव पर थी। इसके बाद मार्च माह में ड्यूटी करने के बाद १ अप्रैल से फिर चाईल्ड केयर लिव पर करीब ४ माह के लिए चली गई। अब वे १ अगस्त को आएंगी। हालांकि उक्त छुट्टियां उनका हक है। लेकिन उनके छुट्टी पर जाने से जिले के मेडिकल स्टोर संचालक अपनी मनमर्जी से धंधा कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें रोकने टोकने और कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है।

रतलाम और इंदौर के इंस्पेक्टर को दिया था प्रभार
जिले में पदस्थ इंस्पेक्टर के छुट्टी पर जाने के कारण पहले जनवरी, फरवरी दो माह के लिए रतलाम के इंस्पेक्टर को चार्ज दिया था। इसके बाद मई माह के लिए इंदौर के इंस्पेक्टर को चार्ज दिया था। ताकि जिले के मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण हो और वे नियम अनुसार काम करें। लेकिन आश्चर्य की बात है कि प्रभारी इंस्पेक्टर भी उक्त अवधि के दौरान खानापूर्ति के रूप में चंद दिन ही मैदान में उतरे, ऐसे में लंबे समय से ड्रग इंस्पेक्टर का अभाव मेडिलक संचालकों के लिए बेखौफ मनमर्जी करने का मौका लेकर आया।

बिना पर्चे के थमा देते हैं दवाईयां, मेडिकल स्टोर में मची होड़
जिला चिकित्सालय के सामने कतारबद्ध तरीके से मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं। इन सभी मेडिकल स्टोरों की आपस में गहरी प्रतिस्पर्धा है। जिसके चलते कोई भी व्यक्ति चाहे व मरीज हो या अन्य किसी भी प्रकार की दवा लेने पहुंचता है तो दवा विक्रेता बिना पर्चे के दवाईयां थमाने में देर नहीं करते हैं। फिर भले ही वह दवाई प्रतिबंधित हो या फिर नशे के उपयोग में आती है। उन्हें तो केवल मोटी कमाई से मतलब रहता है। क्योंकि इस प्रकार की दवाईयों के उन्हें दोगुने से अधिक दाम मिलते हैं।

इंस्पेक्टर के अभाव में नहीं हो रहा भौतिक सत्यापन, नियम रखे ताक में
रिटेल मेडिकल स्टोर पर एक फार्मासिस्ट होना अनिवार्य है। वहीं चिकित्सक द्वारा लिखी दवाई के पर्चे बिना दवाई नहीं दे सकते। प्रत्येक दवाईयों का बिल उपभोक्ताओं को देना अनिवार्य है। वहीं मेडिकल स्टोर की अनुमति और स्थान परिर्वतन का काम तो ऑनलाईन हो चुका है। लेकिन इसका भौतिक सत्यापन स्वयंं इंस्पेक्टर को मौके पर पहुंचकर करना पड़ता है। चूकि ड्रग इंस्पेक्टर नहीं है इस कारण जिले में सभी नियम ताक में रखकर मेडिलक स्टोर संचालक अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं।

पर्चे में लिखी दवा नहीं होने पर थमा देते हैं दूसरी दवाईयां
चिकित्सक द्वारा दवाई लिखने के बाद मरीज पर्चा लेकर मेडिकल पर पहुंचता है। तो मेडिकल स्टोर पर पर्चे में लिखी कुछ दवाईयां नहीं होने पर उसे उसी से मिलते जुलते नामों और कंटेंट की दवाईयां पकड़ा दी जाती है। जो कई बार मरीज को लाभ करने की अपेक्षा नुकसान करती है। ऐसा करीब ३० से ४० प्रतिशत मरीजों के साथ होता है। जो दवाईयां पर्चे पर लिखी होती है उसकी अपेक्षा उसे दूसरी दवाईयां दे दी जाती है। क्योंकि कई बार मरीज दवाई लेने के बाद चिकित्सक को दिखाने भी नहीं जाता है।
छुट्टी पर है
ड्रग इंस्पेक्टर छुट्टी पर है। हमने प्रभारी ड्रग इंस्पेक्टर के लिए ड्रग कंट्रोलर को पत्र लिखा है। जैसे ही ड्रग इंस्पेक्टर आएंगे, निरीक्षण करवाया जाएगा। जहां भी नियम विरूद्ध मेडिकल संचालित होते पाए जाएंगे, नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
-डॉ. महेश मालवीय, सीएचएमओ

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