जिले में शतप्रतिशत फसलों में नुकसानी मानते हुए जानकारी शासन को भेज दी है। यानी जिले में खरीफ की फसल पूरी तरह खत्म हो गई। पूर्व में बारिश के दौर में खराब हो रही फसल का विभाग ने प्रारंभिक आंकलन कर ४० प्रतिशत का नुकसान बताया था, लेकिन १० से १४ सितंबर के बीच हुई भारी बारिश ने रही सही उम्मीदों को पर भी पानी फेरते हुए पूरी फसल चौपट कर दी।
बाढ़ में बह गई किसानों की उम्मीदें
जिले में सबसे अधिक रकबा सोयाबीन का है। २ लाख ७३ हजार हैक्टेयर में सोयाबीन तो २३ हजार ८०० हैक्टेयर में मक्का के साा उड़द ३३ हजार ७००, मुंग २ हजार ६४०, अरहर १ हजार ४५०, तिल १ हजार १५० व मुंगफली २ हजार १६० हैक्टेयर में लगाई थी। खरीफ की फसल की बुआई के बाद बारिश से फसलों की स्थिति बेहतर होने के बाद किसानों को बेहतर उत्पादन की उम्मीद थी।
लेकिन लगातार बारिश से खेतों में पानी भरने की स्थिति जिले के कई क्षेत्रों में बन गई। इससे फसलों में नुकसान शुरु हो गया। रिकॉर्डतोड़ बारिश में आई बाढ़ के बाद किसानों की उम्मीदें पानी के साथ बह गई। सोयाबीन से लेकर मुंग, उड़द, मुंगफली से लेकर अन्य जिंसों में इस बार किसानों को कुछ नहीं मिलेगा। शतप्रतिशत नुकसान जिले में फसलों का हुआ। ऐसे में बीज से लेकर खरपतवार और कीटनाशक से लेकर मजदूरी के रुपए भी किसानों को लगाना पड़े और फसल खराब होने से अब किसानों के साथ आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
१ लाख का बीमा २ लाख हुए बाहर
कर्जमाफी के इंतजार में किसानों ने इस बार सोसायटियों में ऋण का लेन-देन नहीं किया। ऐसे में फसल बीमा में जिले के २ लाख किसान बाहर हो गए। तो सिर्फ १ लाख से अधिक किसानों की ही फसल बीमा में प्रीमियम कटी है। इस बार रिलायंस कंपनी फसल बीमा का काम कर रही है। अब जो किसान फसल बीमा से बाहर है, उन्हें राहत देने का शासन स्तर का निर्णय है। जिनका फसल बीमा हुआ उनके नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी करेगी। वहीं पूर्व में आईसीसी लेबार्ड कंपनी ने बीमा किया था। इसमें वर्ष २०१७ का रबी तो वर्ष २०१८ का खरीब व रबी दोनों समय हुए फसल बीमा की राशि अब तक किसानों को मिलना है और चौथी सीजन में किसानों की फसलें चौपट हो गई। ऐसे में अब किसान सरकार से राहत की आस लगाए बैठे है।
नुकसानी की भेजी जानकारी
जिले में फसल नुकसानी की जानकारी भेजी गई है। अभी और सर्वे चल रहा है। अतिवृष्टि के कारण सभी तहर की फसल खराब हुई है। फसल बीमा जिनका हुआ उन्हें बीमा कंपनी लाभ देगी। इसके अलावा जिनका नुकसान हुआ। उनके लिए निर्णय शासन स्तर से होगा। -डॉ. एएस राठौर, उपसंचालक, कृषि