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मानसून की खेंच से अब फसलों पर छाया पीले पन का रोग

locationमंदसौरPublished: Aug 12, 2020 02:56:36 pm

Submitted by:

Vikas Tiwari

मानसून की खेंच से अब फसलों पर छाया पीले पन का रोग

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लाक डाउन के कारण नहीं मिल रहे मजदूर

मंदसौर.

जिले में मानसून की खेंच से अब फसलों में पीलेपन का रोग बढऩे लगा है। सोयाबीन व मक्का में मानसून की खेंच के कारण अब पीलेपन से लेकर फंफूद बढ़ती जा रही है। जो किसानों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। इस बीच कृ़षि विज्ञान केंद्र से लेकर कृषि से जुड़े जानकार भी अब फसलों को बचाने के लिए किसानों के लिए सलाह जारी कर रहे है। मानसून के दौर में फसलों को अब रोगों से बचाने के लिए किसान दवाईयों का छिड़क़ाव करने में लगे है। वहीं जिले को अब भी झमाझम बारिश की दरकार है। वर्तमान में फसलें खेतों में लहलहा रही है, लेकिन मानसून की बेरुखी और बारिश की कमी के कारण फसलों पर खतरा मंडराने लगा है। जिले में एक सप्ताह से मानसून सक्रिय है, लेकिन झमाझम बारिश अब तक नहीं हुई है। मंगलवार को भी सुबह से शाम तक आसमान पर बादल मंडराते रहे और मौसम भी ठंडा रहा लेकिन बारिश नहीं हुए और बादल फिर बिना बरसें ही लौट गए। इससे किसानों से लेकर अन्य लोगों को निराशा हाथ लगी।
सोयाबीन-मक्का में पीलापन से बचने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने जारी की सलाह
बारिश की कमी के साथ अब फसलों में पीलापन की शिकायत आ रहे है। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों के लिए सलाह जारी की गई। इसमें बताया कि सोयाबीन में पीलीया रोग का वाहक सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पीला चिपचिपा ट्रेप 25 प्रति हेक्टर की दर लगावे तथा पत्तियां खाने वाली ईल्लियों के वयस्कों को पकडऩे के लिए हेलल्यूर एवं स्पोडोल्यूर नामक फेरोमोन ट्रेप 12 प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में लगाए। जैविक कीटनाशक मेटाराईजम या बेविरिया की 5 ग्राम मात्रा या बेसिलसथुरिनजेनसीस नामक बेक्टीरिया की 1 किलो ग्राम मात्रा प्रति हेक्टर की दर से छिडक़ाव करें। इनसे भी नियंत्रण नही हो तो रासायनिक कीटनाशक का पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। वहीं मक्का की फसल ममें फाल आममी वर्म के नियंत्रण के लिए पांच लाईट ट्रेप प्रति हेक्टयर की दर में लगाए तथा ईल्ली के वयस्कों को पकडऩे के लिएयूजिपरडा फेरोमोन टेऊप 37 प्रति हेक्टर की दर से स्थापित करे। फसल में नुकसान हो रहा है तो स्पाईनिटोराम 11.7 प्रतिशत एससी की 0.3 मि.ली. या ईमामेक्टीन बैन्जो, 5 प्रतिशत ईसी की 0.4 ग्रामया स्पाईनोसैड की 0.3 मि.ली. या थायमिथोक्जॉम 12.6$ लेबडासायहेलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत की 0.5 मिली मात्रा या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 प्रतिशत एससी की 0.4 मिली मात्रा प्रतिलीटर पानी की दर से घोल बनाकर के छिडक़ाव करें। इस कीट के जैविक नियंत्रण के लिए ईल्ली में बीमारी पैदा करने वाली फंफूद मेटाराईजम ऐनिसोप्लाई की 5 ग्राम मात्रा या मेटाराईजम रिलेय की 3 ग्राम मात्रा या बेसिलस थुरिनजेनसीस की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर के छिडक़ाव कर सकते हैं।
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