scriptभादो की बारिश से छलका गांधीसागर तो रेतम, कालाभाटा, गाडगिल के गेट भी खोले | Gandhisagar spilled due to Bhado's rain, then the gates of Retam, Kala | Patrika News

भादो की बारिश से छलका गांधीसागर तो रेतम, कालाभाटा, गाडगिल के गेट भी खोले

locationमंदसौरPublished: Aug 17, 2022 10:46:20 am

Submitted by:

Nilesh Trivedi

भादो की बारिश से छलका गांधीसागर तो रेतम, कालाभाटा, गाडगिल के गेट भी खोले

भादो की बारिश से छलका गांधीसागर तो रेतम, कालाभाटा, गाडगिल के गेट भी खोले

भादो की बारिश से छलका गांधीसागर तो रेतम, कालाभाटा, गाडगिल के गेट भी खोले

मंदसौर.
भादो की पहली जोरदार बारिश ने पूरे जिले को पानी-पानी कर दिया। भारी बारिश का असर जिले में दिखा। अब जिले में औसत बारिश पूरी हुई। वहीं गरोठ में औसत से अधिक बारिश हुई। समूचा जिला जलमग्न हो गया। वहीं सोमवार की रात के बाद मंगलवार को भी लगातार जिले में बारिश का दौर जारी रहा। जिले में शिवना, चंबल, सोमली से लेकर सभी नदियां उफान पर रही। नदी-नालों के उफान पर आने के कारण मंगलवार को कई जगहों पर आवागमन बंद रहा। वहीं मानसून के इस दौर में पहली बार गांधीसागर बांध के गेट खोले गए तो पहली बार शिवना नदी भगवान पशुपतिनाथ के गर्भगृह में पहुंची और अलसुबह से लेकर रात तक के गर्भगृह में रहकर तमाम प्रहर की आरती में स्तुती करने के साथ अभिषेक भी किया। वहीं पहली बार शिवना ने सहस्त्र महादेव के चरण पखारें। साथ ही रेकॉर्ड बारिश के कारण शहर में अनेक जगह जलजमाव की स्थिति बनी तो जिले में भी यही हालात रहे। मौसम विभाग ने जहां मंदसौर जिले में भारी बारिश की संभावना जताई तो कलेक्टर ने आपात बैठकर लेकर अमले को अलर्ट किया। वहीं होमगॉर्ड से लेकर एनडीआरएफ की टीमें तैनात करते हुए शिवना के समीप रहने वाले लोगों के घर खाली कराए गए। जिले में बड़े बांध कालाभाटा, रेतम व गाडगिल के भी गेट खोले गए।

अलसुबह से लेकर राततक गर्भगृह में रही शिवना, जलमग्न हुआ मंदिर
इस मानसून में पहली बार मां शिवना ने भगवान पशुपतिनाथ के गर्भगृह में पहुंचकर पहले उनके चरण पखारे और फिर जलाअभिषेक किया। भादो की जोरदार बारिश में उफनती शिवना ने पहली बार सहस्त्र शिवलिंग महादेव मंदिर में पहुंंचकर चरण पखारे तो तापेश्वर महादेव का अभिषेक किया। मंगलवार सुबह ५.३० बजे पशुपतिनाथ के गर्भगृह में शिवना ने प्रवेश किया। इसके बाद सुबह की आरती जब पंडित राकेश भट्ट ने की तो आरती में गर्भगृह में मौजूद रहकर शिवना ने भी स्तुती की। सुबह की मंगला आरती से लेकर भोग आरती के बाद शयन आरती में भी शिवना शामिल रही। सुबह ८.३० बजे तक चार मूख जलमग्न हुए लेकिन जलस्तर बढऩे का दौर जारी रहा और दोपहर १२ बजे तक प्रतिमा के सभी अष्टमुख जलमग्न हो गए। १ बजे तक प्रतिमा थोड़ी सी ही दिखाई दी। शाम ५ बजे तक पानी सिर्फ ३ इंच कम हुआ। ऐसे में रात तक शिवना नदी भगवान के गर्भगृह और पूरे मंदिर परिसर में ही रही। लगातार शिवना ने पशुपतिनाथ का अभिषेक किया। अलसुबह गर्भगृह में प्रवेश के बाद देररात तक शिवना गर्भगृह में रही और रात तक पशुपतिनाथ जलमग्न रहे और मंदिर में पानी रहा। शिवना के पानी में जलमग्न पशुपतिनाथ और मंदिर परिसर में भक्तों के बीच अठखेलिया करती शिवना को देखने के लिए बड़ी संख्या में शहरवासी मंदिर में पहुंचे। इधर मंदिर तक पानी पहुंचने और शिवना के उफान पर होने के कारण लोगों की भीड़ जमा हुई तो पुलिस को तैनात करना पड़ी। वर्ष २०१९ में आई बाढ़ में अधिक समय जलमग्न थे और इसके बाद अब इतने अधिक समय से पशुपतिनाथ जलमग्न रहे।

प्रशासन ने शिवना किनारे खाली कराए मकान, एनडीआरएफ तैनात
इधर शिवना नदी के किनारे किले क्षेत्र में पहाड़ी पर स्थित कई मकान जिन्हें पहले ही नोटिस दिया है। नदी के समीप मिट्टी धसने की स्थिति में ऊपर मकान में रहने वाले लोगों को खतरा हो सकता है। ऐसे में प्रशासन ने शाम को बढ़ते शिवना के पानी को देखते हुए इन मकानों में रहने वाले लोगों को यहा से सुरक्षित स्थान पर भेजा और मकान खाली कराने का काम किया। कलेक्टर गौतम सिंह, एसपी अनुराग सुजानिया व जिला पंचायत सीईओ कुमार सत्यम एसडीएम सहित नपा अमले के साथ मौके पर पहुंचे और यहां रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजने का काम किया। इधर शिवना के किनारों के इन क्षेत्रों में एनडीआरएफ की टीम को भी तैनात किया गया।

रामघाट ओवरफ्लो, कालाभाटा, गाडगिल, रेतम के खोले गेट
शिवना नदी के उफान पर आने के कारण कालाभाटा बांध के ६ गेट को १०-१० फीट तक खोला गया। लगातार पानी छोडऩे के कारण नदी में पानी का स्तर अलसुबह से लेकर दोपहर तक लगातार बढ़ता रहा। इसके चलते रामघाट बैराज ओवरफ्लो रहा तो भगवान पशुपतिनाथ मंदिर व मुक्तिधाम क्षेत्र में पुलिया से कई फीट ऊपर तक पानी बहता रहा। वहीं शिवना पर ही नाहरगढ़-बिल्लोद मार्ग पर बनी पुलिया पर ६ फीट पानी होने के कारण दिनभर आवागमन बंद रहा। वहीं मल्हारगढ़ क्षेत्र में काका गाडगिल सागर के दो गेट खोले गए तो रेतम बैराज के सभी २४ गेट खोले गए। चंबल नदी में भी पानी की आवक लगातार बढऩे के कारण बसई क्षेत्र में पुलिया को छूता हुआ पानी गुजरा तो वहीं बड़ी नदियों की सहायक जिले की सभी नदियां भी उफान पर रही। इसमें सेमली से लेकर सोमली के अलावा अन्य सभी नदियां व नाले उफान पर रहे। इसके कारण कई जगहों पुलिया पर पानी होने से आवागमन बाधित हुआ।

जिले में बारिश आंकड़ों की जुबानी
मानसून के इस दौर की अब तक की सबसे अधिक रेकॉर्ड बारिश पिछले २४ घंटे में जिले में हुई। इसमें अब तक बारिश में पिछड़ रहा जिला औसत के करीब पहुंच गया है। २४ घंटे में मंगलवार सुबह ८ बजे तक मंदसौर 4, सीतामऊ करीब 4, सुवासरा 5, गरोठ साढ़े 3 इंच, भानपुरा 2, मल्हारगढ़ करीब 2 इंच, धुंधडक़ा करीब 8 इंच, शामगढ़ साढ़े 3 इंच के करीब बारिश हुई तो वहीं भावगढ़, संजीत व कयामपुर क्षेत्र में भी औसत ३ इंच बारिश हुई। जिले में २४ घंटे में सबसे अधिक धुधडक़ा में ८ इंच तो सबसे कम मल्हारगढ़ में २ इंच बारिश हुई। वहीं अब तक मंदसौर में २७, सीतामऊ में २१, सुवासरा २६, गरोठ ४१, भानपुरा २५, मल्हारगढ़ २१, शामगढ़ ३० इंच बारिश हो चुकी है। पिछले साल से अब तक आंकड़ों में पीछे चल रहा जिला रात को ही बारिश से बराबर की स्थिति में आ गया है।

भारी बारिश के अलर्ट के बीच जारी रही दिनभर झमाझम
इधर मौसम विभाग ने मंदसौर जिले में फिर से गरज-चमक के साथ भारी बारिश की चेतावनी दी है। विभाग के अलर्ट के बीच शहर सहित जिले मेें दिनभर कभी रिमझिम तो कभी झमाझम बारिश का दौर जारी रहा। रुक-रुककर बारिश दिनभर होती रही तो ठंडी हवाओं का दौर भी जारी रहा। आसमान पर बादलों ने डेरा डाले रखा और इसके चलते मौसम में ठंडक घुल गई। रात से लगातार हो रही बारिश के कारण शहर के नयापुरा रोड, धानमंडी क्षेत्र से लेकर स्टेशन रोड, स्टेडियम मार्केट, बालागंज, गुदरी क्षेत्र, बस स्टैंड से लेकर शहर के कई क्षेत्रों में जलजमाव की स्थित बन गई। लोगों की दुकानों तक पानी घुस गया। दिनभर बारिश का यह क्रम शाम तक जारी रहा।
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