घर-घर जाकर किया संपर्क
जनशिक्षक श्याम धनगर ने बताया कि जब वे गांव में पहुंचे थे, तो पता चला कि स्कूल दो वर्षों से बंद है। जानकारी जुटाई तो पता चला कि दो वर्ष स्कूल में जो शिक्षक थी वे बच्चों को पढ़ाती नहीं थी, इस कारण पालकों ने बच्चों को धीरे-धीरे स्कूल भेजना बंद कर दिया और विद्यार्थी नहीं होने के कारण स्कूल स्वत: ही बंद हो गया। श्याम धनगर और गोपाल वीर ने घर-घर जाकर पालकों से संपर्क किया। पहले तो काफी परेशानी आई परंतु करीब तीन माह तक लगातार ग्रामीणों को समझाने का उनका प्रयास सफल हुआ और स्कूल में ३५ विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया।
चौपाल लगाकर पूरे गांव बताया शिक्षा का महत्व
इस कार्य में दोनों जनशिक्षक ने गांव में चौपाल का आयोजन किया। जिसमें बीआरसी मनीष गौड तथा एपीसी को आमंत्रित किया गया। चौपाल में स्थानीय सेवा निवृत्त शिक्षक व्यास को शासकीय स्कूल में नि:शुल्क सेवा देने के लिए प्रस्ताव रखा। जिस पर सहमति जताते हुए नि:शुल्क सेवा देने का वचन दिया। स्थानीय निवासियों ने पंखा, बेंच व अन्य सहयोग दिया। उपसरंपच मीण ने शासकीय कर्मचारियों के इस कार्य की प्रशंसा की। इस जनशिक्षक केन्द्र में समीप गांव बावरेचा में भी 22 छात्र की संस्था में 100 से अधिक करने में जनशिक्षक श्याम धनगर व बीआरसी मनीष गौड का बहुत योगदान रहा । उक्त गांव में लगभग 40 से 50 लोग सेवा में है।
५ वर्ष पूर्व १५० और १५ वर्ष पूर्व ४०० से अधिक बच्चे थे
श्याम धनगर ने बताया कि ५ वर्ष पूर्व ही इस स्कूल में १५० से अधिक और १५ वर्ष पूर्व करीब ४०० से अधिक विद्यार्थी हुआ करते थे परंतु छात्रों की संख्या में लगातार कमी होने के कारण यह स्कूल बंद हो गया। गांव में कई लोगों ने इस स्कूल से ही शिक्षा प्राप्त की है। ऐसा कई ग्रामीणों का कहना है।