राज परिवार ने जन्मे लेकिन उन्होंने ग्रामों व बनों में रहकर तप किया चिंतन अपनाया तथा बारह वर्षो तक कई ग्रामों व वनो में रहकर तप किया चिंतन अपनाया तथा बारह वर्षो तक कई गा्रमो व वनों में रहकर तप किया। प्रभु महावीर ने दिक्षा के बाद ही वस्त्र भी बा्रहण को दान दे दिए प्रभु महावीर का पुरा जीवन प्रेरणादायी है। राजकीय सुख सुविधाओ में पले बढे भगवान महवीर यदि चाहते तो अन्य राजाओं महाराजाओं की भांति वे भी भौतिक पदार्थो में जीवन व्यापन कर जीवन खपा देते लेकिन उन्होंने तप त्याग का मार्ग अपनाया। जीवन में जो भी त्याग करता है वह सदैव ही यश पाता है। पवित्ररत्नसागरज ने धर्मसभा में कहा कि प्रभु महावीर ने 27 वे भव में मोक्ष पाया। उन्होंने दिक्षा के साढे बारह वर्षो तक ग्रामों में चातुर्मास किया और तप किया। 30 वर्षो तक कई नागरियों व ग्रामों में देशाना देते हुए संयम जीवन का निर्वहन किया ं। लगभग 42 वर्षो के संयम जीवन के बाद उन्हे मोक्ष मिला।
3 को सवत्सरी का पारणा व क्षमापना महोत्सव होगा
प्रर्यूषण पर्व के क्षमापन अवसर पर 3 सितंबर को सुबह 6.30 बजे उपरांत दशरथ नगर मांगलिक भवन में संवत्सरी के उपवास करने वाले श्रीसंघ से जुडे परिवारों का सामूहिक क्षमापना भी करेगे। सवत्सरी पर्व 2 सितंबर सोमवार को मनायाा जाएगा। श्रीसंघ से जुडे परिवारों की महिलाओं का प्रतिक्रमण नई आबादी आराधना भवन मंदिर में हाल में व पुरूषों का दशरथ नगर मांगलिक भवन में शाम 4 बजे होगा।