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10 हजार अपात्रों का नियमों के विरुद्ध कैसे जोड़ा….पढ़े यहां

locationमंदसौरPublished: Jul 31, 2019 03:44:16 pm

Submitted by:

Vikas Tiwari

पत्रिका ने किया खुलासा

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मंदसौर.
प्रधानमंत्री आवास योजना में १० हजार से अधिक अपात्रों के नाम सूची में जुडऩे का मामला सामने आया है। जब इन सभी की जांच की गई तो सामने आया कि यह नियमों के विपरीत है। उसके बाद तेजी से जिला पंचायत के अधिकारियों द्वारा इन सभी के नाम को काटा गया। हंालाकि इनमें से करीब ८० लोग वे भी है जिन्होंने स्वेच्छा से प्रधानमंत्री आवास योजना की मिली राशि को वापस लौटा दिए। और कई अपात्रों से अधिकारियों द्वारा रिकवरी की गई है। वहीं दूसरी ओर फिर से सर्वे किया गया। लेकिन इस बार भी अपात्रों को सूची में नहीं जुड़े इसको लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए है। अधिकारी भी इससे बात से सहमत है कि सर्वे में अपात्र लोग जुड़े सकते है।
४८ हजार ९३२ को किया गया था सर्वे में चिह्ंित
जिला पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार जिले की पांच जनपद पंचायतों में २०११ में ंसर्वे करवाया गया था। जिसके बाद जिले में करीब ४८ हजार ९३२ हितग्राहियों के नाम की सूची तैयार की गई थी। इस सूची के अनुरुप ही प्रधानमंत्री आवास हितग्राहियों को वितरीत किए गए थे। इनमें से करीब १० हजार २७६ हितग्राही अपात्र सामने आए है। यह अधिकारियों द्वारा मैदान में यथा स्थिति देखने के बाद पता चला। इन सबको बाहर कर दिया गया।
३८ हजार ६५६ आवास बनेगें जिले में
जिला पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार जिले में ४८ हजार ९३२ कुल हितग्राहियों में से ३८ हजार ६५६ हितग्राही पात्र पाए गए। इसमें अब तक ३० हजार ९८८ आवास बनकर तैयार हो गए है। वहीं इस वर्ष ७ हजार ६६८ का लक्ष्य है। इसमें से भी बड़ी संख्या मेंं हितग्राहियों को प्रथम किश्त जारी हो गई है। इसके बाद एक भी पात्र हितग्राही के योजना के तहत मकान बनना शेष नहीं रह जाएगा। सन् २०१६-१७ में ८ हजार ७४६, सन् २०१७-१८ में ७ हजार ६०३, सन् २०१८-१९ में १४ हजार ६३९ में मकान बने है। अब ७ हजार ६६८ मकान इस वर्ष बनेगें।
अगले साल के लिए हो गया सर्वे पूरा
सन् २०११ में हुए सर्वे के मुताबिक जो संख्या हितग्राहियों की सामने आई थी। उसके अनुरुप जिले में २०१९-२० तक मकान बन जाएंगे। सन् २०२०-२१ के लिए सर्वे का कार्य पूरा हो गया है। इस नवीन सर्वे के अनुरुप ही आने वाले साल में हितग्राहियों की सूची बनेगी और उनको योजना का लाभ मिलेगा। अधिकारियों की माने तो इसमें भी अपात्र हितग्राही आ सकते है।
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