150 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
पंडित शंभूनाथ रावल ने बताया कि मंदिर का इतिहास डेढ़ सौ साल पुराना है एवं दुधाखेड़ी माता मंदिर के बाद में गांव का यह मंदिर काफी प्रचलित हुआ एवं साल के 12 महीनों के हर दिन यहां भक्तजन आते हैं एवं कुंड के जल से स्नान करते है। मंदिर नव निर्माण को लेकर 1995 में गांव के प्रमुख जनों की 11 सदस्यों की एक समिति बनाई गई। इसमें मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार की गई। वही एक 100 सदस्यों की भोजन परोसने की समिति भी बनाई गई। दोनों समितियों द्वारा अभी तक मंदिर में कई निर्माण कार्य करवाएं वही जमीन भी खरीदी आसपास समिति के अध्यक्ष मोहनलाल पाटीदार ने बताया कि मंदिर में मां अंबे नौ रूपों में विद्यमान हैं। वही मुहूर्त अति प्राचीन है। दूर-दूर से भक्त लोग अपनी पीड़ा लेकर आते हैं और हंसते कैसे खेलते यहां से ठीक होकर जाते हैं।