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नियमों में उलझे पात्र बने अपात्र, एक हजार का लक्ष्य, १०० ही बने

locationमंदसौरPublished: Jan 12, 2018 06:06:59 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

झुग्गी बस्तियों में आवास योजना के लिए नहीं मिल रहे पात्र आवेदक, सामान्य क्षेत्रों से मांगे आवेदन

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मंदसौर. शहर में प्रधानमंत्री आवास बनने की गति कछुआ चाल है। डेढ साल पहले गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों सहित अन्य कम आय वाले आवासहीन लोगों के लिए 2.5 लाख रुपए का अनुदान देने की योजना का क्रियान्वयन शुरू हुआ था। नगरपालिका में 1 हजार 54 मकान बनाने का लक्ष्य रखा था। डेढ़ साल में केवल 109 लोगों के ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बन पाए है। इनमें भी कुछ लोगों की अनुदान की आखिरी किश्त जारी नहीं हुई है। इसमें पीएम आवास के नियमों में बदलाव के चलते कई पात्र आवेदक अपात्र हो गए। इससे आवास का लक्ष्य पिछड़ गया।
खाली भूखंडधारियोंं से भी ले रहे आवेदन : लक्ष्य को तेजी से पूरा करने के लिए अब जिन लोगो के पास भूखंड है और वे ऋण लेकर मकान बनाना चाहते हैं। उन्हें भी इस योजना का लाभ देना शुरू कर दिया है। भले ही उनके पास हजार या १५०० स्क्वेयर फीट का भूखंड हो। यहां तक की भूखंड की रजिस्ट्री वालो के लिए भी ढाई लाख का अनुदान देने के रास्ते खोल दिए है। इसके बाद भी अभी तक १०५४ आवेदन भी नगरपालिका के पास नहीं पहुंच पाए है। ऐसे में कईगरीब व जरुरतमंद व्यक्ति को योजना का लाभ केवल इसीलिए नहंी मिल रहा है क्योंकि उनके सामने 10 फीट चौड़ी रोड नहीं है।
जरूरतमंद तो हैं पर गाइडलाइन अनुसार नहीं : नगरपालिका के सहायक यंत्री जीएल गुप्ता ने बताया कि गाइडलाइन के मुताबिक पट्टाधारी स्वयं हो। हाईटेंशन लाईन के नीचे भूखंड या मकान ना हो। भूखंड के सामने कम से कम 10 फीट चौड़ी रोड हो, इस झुग्गी बस्ती में बड़ी संख्या में लोगों ने हाइटेंशन लाइन के नीचे मकान बना रखे है। यहां कई मकान या भूखंड के सामने 4 से 8 फीट चौड़ी रोड ही है। लिहाजा यह सब अपात्र है। यहीं वजह है कि झुग्गी बस्ती क्षेत्र में ज्यादा आवासहीन होने के बाद भी सभी पात्र व्यक्तियों को योजना का लाभ नहंी दे पा रहे है।

राजूबाई नाथ ने कहा कि उन्हें मकान की सख्त जरुरत है, पर मकान के आगे चौड़ी रोड नहीं है। इसीलिए नगरपालिका ने उन्हें अपात्र कह दिया है। भूलीबाई ने कहा कि उन्होंने आवेदन दिया था, पर सड़क छोटी होने से आवेदन निरस्त कर दिया। अंबाबाई, नसीमबाई ने कहा कि ढाई लाख का अनुदान देने की बात कहीं। पहले तो सबकुछ ठीक रहा, अभी तक हमने इधर-उधर से उधार लेकर नगरपालिका द्वारा स्वीकृत नक्शे अनुसार मकान बना लिया तो भी अभी तक आखिरी किश्त नगरपालिका ने नहीं दी है।
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