मालवा है बेहद खास
मालवा में 65 विधानसभा सीटों पर वर्तमान में 63 पर भाजपा काबिज है और मात्र दो सीट वर्तमान में कांग्रेस के पास है। ऐसे में हर बार की तरह इस बार भी चुनाव में मालवा बेहद खास होने वाला है और सभी की नजर मालवा पर है। सिंधिया की भी मालवा की सीटों पर नजर है। मालवा के लोग जिस पार्टी पर विश्वास दिखाते है उसी की सरकार बनना तय माना जाता है और अब तक ऐसा होता भी आया है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के लिए मालवा बेहद खास होने वाला है। इसलिए सिंधिया के मालवा में मंदसौर संसदीय क्षेत्र की रतलाम जिले की जावरा सीट से चुनाव लडऩे की चर्चाओं ने राजनीति माहौल को ठंडे मौसम को गरम कर दिया है। वहीं दूसरी और महाकाल की नगरी उज्जैन से शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में चुनावी शंखनाद किया और अपनी जनआशीर्वाद यात्रा को वह भाजपा के लिए गढ़ माने जाने वाले मालवा की और लेकर निकलें है। पूर्व में दो बार की तरह तीसरी बार भी सीएम अपने यात्रा को लेकर सबसे पहले मालवा की और निकले है।
मालवा में 65 विधानसभा सीटों पर वर्तमान में 63 पर भाजपा काबिज है और मात्र दो सीट वर्तमान में कांग्रेस के पास है। ऐसे में हर बार की तरह इस बार भी चुनाव में मालवा बेहद खास होने वाला है और सभी की नजर मालवा पर है। सिंधिया की भी मालवा की सीटों पर नजर है। मालवा के लोग जिस पार्टी पर विश्वास दिखाते है उसी की सरकार बनना तय माना जाता है और अब तक ऐसा होता भी आया है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के लिए मालवा बेहद खास होने वाला है। इसलिए सिंधिया के मालवा में मंदसौर संसदीय क्षेत्र की रतलाम जिले की जावरा सीट से चुनाव लडऩे की चर्चाओं ने राजनीति माहौल को ठंडे मौसम को गरम कर दिया है। वहीं दूसरी और महाकाल की नगरी उज्जैन से शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में चुनावी शंखनाद किया और अपनी जनआशीर्वाद यात्रा को वह भाजपा के लिए गढ़ माने जाने वाले मालवा की और लेकर निकलें है। पूर्व में दो बार की तरह तीसरी बार भी सीएम अपने यात्रा को लेकर सबसे पहले मालवा की और निकले है।
कालूखेड़ा से नजदीकियों ने सिंधिया को मालवा में खींचा
सिंधिया की मालवा में सबसे अधिक नजदीकियां पूर्व मंत्री महेंद्रसिंह कालूखेड़ा से थी। कालूखेड़ा के निधन के बाद उनके भाई केकेसिंह कालूखेड़ा ने उनकी राजनीति बिछात पर कदम आगे बढ़ाए है। कालूखेड़ा की नजदीकियों ने सिंधिया को मालवा में खींचा और कालूखेड़ा के जरीए सिंधिया मालवा की राजनीति को प्रभावित करते भी आए है। अब पूर्व मंत्री कालूखेड़ा नहीं है, ऐसे में उनकी रही जावरा सीट से चुनाव लड़कर सिंधिया मालवा की सीटों पर दखल देते हुए इन्हें साधन की जुगत में है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चाओं का विषय भी बना हुआ है।
सिंधिया की मालवा में सबसे अधिक नजदीकियां पूर्व मंत्री महेंद्रसिंह कालूखेड़ा से थी। कालूखेड़ा के निधन के बाद उनके भाई केकेसिंह कालूखेड़ा ने उनकी राजनीति बिछात पर कदम आगे बढ़ाए है। कालूखेड़ा की नजदीकियों ने सिंधिया को मालवा में खींचा और कालूखेड़ा के जरीए सिंधिया मालवा की राजनीति को प्रभावित करते भी आए है। अब पूर्व मंत्री कालूखेड़ा नहीं है, ऐसे में उनकी रही जावरा सीट से चुनाव लड़कर सिंधिया मालवा की सीटों पर दखल देते हुए इन्हें साधन की जुगत में है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चाओं का विषय भी बना हुआ है।