शिवना नदी के प्रदूषण के कारण इसके समीप से निकलने वाले लोगों को दुर्गंध का हर दिन सामना करना पड़ता है।पिछले एक दशक से अधिक समय से शिवना शुद्धिकरण बड़ा मुद्दा बना हुआ है, लेकिन यह प्रदूषित क्यों हो रही है और इसे कैसे रोका जा सकता है।इसे लेकर अब तक किसी भी स्तर से ठोस पहल नहीं हुई है। इस कोर्ट में लगाए गए आवेदन में शिवना के प्रदूषण के कारणों के साथ नगर पालिका द्वारा इस पर काम नहीं करने से लेकर नदी के समीप स्थित राजाराम फैक्ट्री के कारण भी नदी के प्रदूषित होने की बात कही गई है। कोर्टने आवेदन की सुनवाई में विभागों से इस पर रिपोर्ट तलब की है।
गंदा नाला बन गई आस्था से जुड़ी शिवना
एक और तो भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के समीप से प्रवाहित हो रही शिवना नदी शहर के साथ जिले व क्षेत्र में सैकड़ों लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है, लेकिन दिनोंदिन इसमें बढ़ते जा रहे प्रदूषण के कारण वर्तमान स्थिति में यह सिर्फगंदा नाला ही बनकर रह गई है। शिवना में मिलने वाले गंदे पानी के नालों के कारण इसका पानी प्रदूषित हुआ है तो इसमें बहाया जाने वाला कचरा भी इसका बड़ा कारण है। शिवना के प्रदूषण के अनेक कारण है जो सबके सामने है। पर प्रशासनिक और विभागीय स्तर हजारों लोगों की आस्था से जुड़ी शिवना के प्रदूषण को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
प्रदूषण बोर्ड को दिए निर्देश
एडीपीओ नितेश कृष्णनन ने बताया कि माधुरी सोलंकी ने जन लोकपयोगी सेवा में शिकायत में शिवना के प्रदूषण को लेकर आवेदन लगाया है। इसमें शिकायत हर माह के शनिवार को सुनी जाती है। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश अब्दुल कादिर मंसूरी के न्यायालय में लगे आवेदन पर न्यायाधीश ने कलेक्टर, नगर पालिका, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, स्वास्थ्य विभाग व अन्य को तलब किया था। इसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अगली तारीख तक शिवना के प्रदूषित होने के कारणों पर विस्तृत रिपोर्टबनाकर पेश करने के निर्देश दिए है।