कार्यक्रम में श्रीसंघ के प्रभारी सुरेंद्र लोढा ने भी कई विषयों पर अपने विचार रखें। कार्यक्रम में श्रीसंघ के अध्यक्ष संजय मुरडिया, सकल जैन समाज अध्यक्ष सज्जनलाल जैन, महामंत्री संदीप धींग, महेश जैन तहलका, समन्वयक रमेश जैन डालर, महेंद्र चौरडिया, कोषाध्यक्ष राजेश डोसी, मूर्तिपूजक युवा संगम उपाध्यक्ष पंकज खटोड, महिला संगम उपाध्यक्ष प्रमिला लोढा, उज्जैन के समाजसेवी डॉ पुष्पेंद्र जैन मंचासीन थे।
देश की आर्थिक उन्नति में समाज का अहम योगदान
डॉ. जैन ने कहा कि जैन धर्म भारत का प्राचीन धर्म है। 2011 की जनगणना में भारत की कुल आबादी 121 करोड है। इसमें धर्म के अनुयायियों की आबादी मात्र 44 लाख है। जैन धर्म के अनुयायी भले ही जनसंख्या में कम हो लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त कर समाज की सेवा में कार्य करने में अग्रणी है। देश की आर्थिक उन्नति में समाज का महत्वपूर्ण योंगदान है। जैन धर्म के अनुयायी आयकर देने में सबसे आगे है।
डॉ. जैन ने कहा कि जैन धर्म भारत का प्राचीन धर्म है। 2011 की जनगणना में भारत की कुल आबादी 121 करोड है। इसमें धर्म के अनुयायियों की आबादी मात्र 44 लाख है। जैन धर्म के अनुयायी भले ही जनसंख्या में कम हो लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त कर समाज की सेवा में कार्य करने में अग्रणी है। देश की आर्थिक उन्नति में समाज का महत्वपूर्ण योंगदान है। जैन धर्म के अनुयायी आयकर देने में सबसे आगे है।
एकता का है अभाव
समाजसेवी संस्थाओं व गौशाला के संचालन में भी जैन धर्म के अनुयायी अग्रणी है। लेकिन जैन धर्म में पंथ विभाजन के कारण समाज के एकता का अभाव है। दिगंबर श्वेतांबर, स्थानकवासी तेरापंथी आदि पंथों व संप्रदायों में बटे होने के कारण जैन धर्म में एकता व सांमजस्य में कमी है। इसे दूर करना वर्तमान समय की सबसे आवश्यकता है। व्यापार में अधिक ध्यान देने के कारण हम पारिवारिक जिम्मेदारी के प्रति लापरवाह हो रहे है यह भी हमारी सबसे बडी समस्या है।
समाजसेवी संस्थाओं व गौशाला के संचालन में भी जैन धर्म के अनुयायी अग्रणी है। लेकिन जैन धर्म में पंथ विभाजन के कारण समाज के एकता का अभाव है। दिगंबर श्वेतांबर, स्थानकवासी तेरापंथी आदि पंथों व संप्रदायों में बटे होने के कारण जैन धर्म में एकता व सांमजस्य में कमी है। इसे दूर करना वर्तमान समय की सबसे आवश्यकता है। व्यापार में अधिक ध्यान देने के कारण हम पारिवारिक जिम्मेदारी के प्रति लापरवाह हो रहे है यह भी हमारी सबसे बडी समस्या है।
अनावश्यक खर्च से बढ़ रही ऋण की प्रवृत्ति
हम आपसी प्रतिस्पर्धा में आकर आवश्यकता से अधिक धनराशि विवाह समारोह व पारिवारिक आयोजन में खर्च कर रहे है। इससे हमारे अनावश्यक रूप से ऋण लेने की प्रवृत्ति बढ रही है। हम जितना हो सके उतना ही आयोजनो में खर्च करे तथा बची राशि का उपयोग परिवार व समाज की उन्नति में करे। दिखावे की प्रवृत्ति के कारण भी बच्चो एवं युवावर्ग में भटकाव आ रहा है। युवा वर्ग को अभक्ष पदार्थ के सेवन से बचाना भी एक चुनौती है। संयोजक लोढा ने कहा कि दशपुर नगर का इतिहास प्राचीन है। दशपुर नगरी का उल्लेख कई जैन धर्म ग्रंथों में मिलता है। नगर में 30 से अधिक जैन मंदिर है। जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाज जनसंख्या की दृष्टि से सकल जैन समाज की सबसे अधिक बडी इकाई है।
हम आपसी प्रतिस्पर्धा में आकर आवश्यकता से अधिक धनराशि विवाह समारोह व पारिवारिक आयोजन में खर्च कर रहे है। इससे हमारे अनावश्यक रूप से ऋण लेने की प्रवृत्ति बढ रही है। हम जितना हो सके उतना ही आयोजनो में खर्च करे तथा बची राशि का उपयोग परिवार व समाज की उन्नति में करे। दिखावे की प्रवृत्ति के कारण भी बच्चो एवं युवावर्ग में भटकाव आ रहा है। युवा वर्ग को अभक्ष पदार्थ के सेवन से बचाना भी एक चुनौती है। संयोजक लोढा ने कहा कि दशपुर नगर का इतिहास प्राचीन है। दशपुर नगरी का उल्लेख कई जैन धर्म ग्रंथों में मिलता है। नगर में 30 से अधिक जैन मंदिर है। जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाज जनसंख्या की दृष्टि से सकल जैन समाज की सबसे अधिक बडी इकाई है।
जैन तीर्थों के अनुयायियों की प्रजनन दर घटी है। ऐसे में समाज को जागरूक रहने की आवश्यकता है। श्रीसंघ अध्यक्ष मुरडिया ने कहा कि केवल पारिवारिक वार्षिक मिलन समारोह नही है बल्कि एक ऐसे विषय पर परिचर्चा के लिए रखा गया है जो वर्तमान समय की सबसे बडी चुनौती है। उच्च शिखा प्राप्त करने के बाद डॉ चित्रा जैन ने जो संस्कार सृजन का अभियान शुरू किया है वह अदभुत कार्य है।
सकल जैन समाज अध्यक्ष जैन ने कहा कि घर परिवार के सुधार के साथ ही हमें स्वय के सुधार की भी बात करनी पडेगी। प्रारंभ में भगवान श्खेश्वर पाश्र्वनाथ के चित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित किया गया। मंगलाचरण प्रमीला लोढा, हेमा हिंगड, अनिता मुराडिया द्वारा प्रस्तुत किया गया।