भरोसे पर टिकी सेहत
जिस पानी के लिए २० रुपए चुकाए जा रहे है। वह पानी क्या वाकई शुद्ध है।इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। १५ लीटर की केन में ठंडे के साथ शुद्ध पानी के भरोसे लोग यह पानी ले रहे है। कार्यालयों से लेकर दुकानों और अब तक घरों तक यह आरओ का पानी पहुंचने लगा है। विभागों के अधिकार क्षेत्र से बाहर यह आरओ का पानी पीने में शुद्ध और देखने में तो साफ है, लेकिन सही में यह शुद्ध है। यह कोईनहीं जांचता। ऐसे में इन केनों को पानी पीने वाले लोगों की सेहत सिर्फ भरोसे पर कायम है। आरओ प्लांट डालने के साथ ही छोटी-छोटी लोडिंग गार्डियों में यह पानी पूरे शहर में सप्लाईकिया जा रहा है।
सिर्फ गुमास्ता तक सीमित जानकारी
शहर में आरओ प्लांट संचालक के अनुसार शहर में करीब ३० ऐसे प्लांट चल रहे है। लेकिन इन्हें किसी से अनुमति लेने या कही से लाइसेंस की जरुरत नहीं होती है। सिर्फ गुमास्ता के चलते श्रम विभाग में इन्हें जानकारी देना होती हैऔर फिर अपने हिसाब से यह पानी का कारोबार करते है। विडबंना तो यह है कि सरकारी तंत्र का कोई भी विभाग इसकी जांच नहीं करता।
पैकिंग वाला पानी देखते है। यह खुला पानी है। इसलिए यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है।-कमलेश जमरा, खाद्य अधिकारी
देख सकते है
अधिकार क्षेत्रमें नहीं आता है।लेकिन शहर से जुड़ा होने के कारण इसकी गुणवत्ता को देख सकते है। -आरपी मिश्रा, सीएमओ