आचार्य विश्वरत्नसाग ने दशपुर नगरी के जैनत्व पर आधारित प्राचीन इतिहास के गौरवमयी इतिहास के बारे मे बताया तथा मालवा के प्राचीन संतो के बारे मे धर्मालुजनों को जानकारी दी। आचार्यश्री ने गणिपदवी के महत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि गणिपदवी पहली पदवी है तथा आचार्य पदवी अंतिम पदवी है। चल समारोह में बडी संख्या मे साधु -साध्वियों सहित महिला व पुरूष शामिल हुए। बैंड-बाजो की धुन पर श्रावकों ने नृत्य भी किया।
बेटी-बचाओ व पर्यावरण बचाओं का संदेश
चल समारोह मे अनेक महिला मंडल शामिल हुए। प्रारंभ मे चल रहे महिला मंडल ने सिर पर कलश धारण किए हुए थे। इसके बाद चलने वाली महिलाओं द्वारा हाथों मे बेटी बचाओ, बेटी पढाओ व पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर हाथो मे तख्तिया थामी हुई थी।
यह महिला मंडल हुए शामिल
चल समारोह मे जैन समाज के सूर्यरत्न मोक्ष महिला मंडल, चंदन बाला महिला मंडल, दिवाकर विचार मंच, आदिनाथ पाश्र्व मंडल, सुरेंद्र महिला मंडल, नवरत्न महिला मंडल, खतरगच्छ महिला मंडल, नवकार महिला मंडल, समता महिला मंडल, जिन कुशल महिला मंडल, राजेंद्र महिला परिषद, राजेंद्र ऋषभ बहु मंडल शामिला हुआ।
यह थे उपस्थित
इस अवसर पर विधायक यशपालसिंह सिसौदिया, पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहटा, पूर्व नपा उपाध्यक्ष महेंद्र चैरडिया, सकल जैन समाज के संरक्षक सुरेंद्र लोढा, लक्ष्मीलाल धींग, सोमिल नाहटा आदि उपस्थित थे ।