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टीबी मुक्त भारत बनाने शुरू की जिले में 13.5 लाख प्रति मरीज की दवाई

locationमंदसौरPublished: Mar 25, 2019 11:42:23 am

Submitted by:

Nilesh Trivedi

टीबी मुक्त भारत बनाने शुरू की जिले में 13.5 लाख प्रति मरीज की दवाई

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टीबी मुक्त भारत बनाने शुरू की जिले में 13.5 लाख प्रति मरीज की दवाई


मंदसौर.
वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के उद्देश्य से शासन द्वारा टीबी नियंत्रण के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत जिले में उन मरीजों तक को ठीक करने के लिए कमर कस ली है, जिन मरीजों पर सामान्य दवाईयों ने भी काम करना बंद कर दिया है। जिसके तहत पहले चरण में जिले के चार टीबी मरीजों को साढ़े १३-साढ़े १३ लाख की दवाईयां दी जा रही है। प्रति मरीज साढ़े लाख की दवा का खर्च शासन वहन करेगा। और जिन पर सामान्य दवा असर नहीं कर रही है, उन्हें इस श्रेणी में रखा जाएगा।

जिले में २ हजार से अधिक टीबी के मरीज
यूं तो मंदसौर जिले में करीब २ हजार से अधिक मरीज टीबी से पीडि़त है। लेकिन जो मरीज नियमित दवाई लेते हैं, उनका जीवन लंबा चल सकता है। लेकिन कुछ स्टेच ऐसी रहती है। जिस पर सामान्य दवाईयांं मरीजों पर काम करना बंद कर देती है। इस कारण टीबी के उन मरीजों को एमडीआर श्रेणी में लिया जाता है। जिले में करीब ७५ मरीज ऐसे हैं जो एमडीआर श्रेणी के हैं, जिसमें से ७२ मरीजों का उपचार चल रहा है।

4 मरीजों पर चल रहा बिडाक्लिन दवाई से उपचार
टीबी को जड़ से मिटाने के लिए शासन द्वारा करीब साढ़े १३ लाख रुपए कीमती दवाई से उपचार शुरू किया है। यह दवाई काफी महंगी होने के कारण बाजार में मिलती भी नहीं है। इसकी एक मात्र डिब्बी में 180 गोलियां आती है। स्वास्थ्य विभाग ने माना है कि जब टीबी के मरीज को अन्य सभी दवाईयां काम करना बंद कर दे, तब बिडाक्लिन का उपचार शुरू किया जाता है। यह दवाई मरीज को विभाग की निगरानी में ही दी जाती है।

उज्जैन से शुरू होता है उपचार
जिले से करीब पांच टीबी के मरीज बिडाक्लिन दवाईयां शुरू करने के लिए मेडिकल कॉलेज उज्जैन भेजे गए थे, ताकि वहां सभी प्रकार की जांच होने के बाद दवाईयां शुरू की जाए, साथ ही चिकित्सकों की देखरेख में मरीजों को रखा गया था, ताकि किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आए, ऐसे में एक की मौत उपचार के दौरान हो गई, वहीं चार मरीजों में दवाई के सार्थक परिणाम आने से दवाई चालु है। इस प्रकार इस महंगी दवाई के उपचार की शुरूआत पहले मेडिकल कॉलेज उज्जैन से की जाती है। जिसके बाद दवाई मरीज को लग जाने पर स्थानीय रूप से नियमित की जाती है।
नियमित दवाई लेने से लंबा जीवन जी सकता है मरीज
टीबी किसी भी प्रकार की हो, लेकिन मरीज अगर नियमित दवाईंया लेता है तो वह लंबा जीवन जी सकता है। जिले में चार मरीजों को बिडाक्लिन दवाई दी जा रही है। जो करीब 13.5 लाख रुपए की आती है।
-विपिन सक्सैन, जिला कार्यक्रम समन्वयक, टीबी

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