मजदूरी बढ़ाने की मांग कर रही महिलाओं ने कहा कि अभी १८० रुपए प्रतिदिन के मान से उन्हें मिलते है। सभी महिलाओं को इसी अनुसार हर एक व्यापारी के यहां से भुगतान किया जाता है। उनकी मांग २५० रुपए की है। चुनाव पहले मांग की थी तो चुनाव बाद की कहा। इसीलिए यहां पहुंचकर अपनी मांग एकजुट होकर रखी। सुबह १० बजे से लेकर शाम ७.३० बजे तक लगातार व्यापारियेां के गोदामों में हम काम करते है। बावजूद अल्प मजदूरी के कारण परेशानी होती है। इसी से परेशान होकर अपनी मांग को रखा। कोईनहीं सुन रहा था। तो मंडी से बाहर निकलकर धरना और चक्काजाम कर घेराव किया।
१ जून के बाद का भरोसा मिला। नहीं बढ़ी तो फिर आंदोलन करेंगे। पहले तो मंडी अधिकारियों ने कहा कि मंडी के मजदूर नहीं है तो हम मजदूरी बढ़ाने की बात करें, यह व्यापारियों के यहां काम करती है, लेकिन जब महिलाओं का आक्रोश बढ़ता देखा और हंगामा देखा तो तत्काल व्यापारियों से बोलकर मजदूरी बढ़ाने का भरोसा देते हुए मामला शांत कराया।
चार दिन बाद खुली मंडी, सामान्य रही आवक
१७ मई को चुनाव के चलते मंडी में अवकाश कर दिया गया था। चार दिन बाद मंगलवार को मंडी खुली। लेकिन आवक सामान्य रही और कही पर भीड़ नजर नहीं आई। प्रांगण भी खाली रहा। मंगलवार को मात्र ३३ हजार बोरी ङ्क्षजसों की आवक रही तो सबसे अधिक १५ हजार जिंस लहसुन की थी। इसी कारण चार दिन बाद खुली मंडी के बाद भी व्यवस्था नहीं बिगड़ी। गर्मी के कारण आवक कम होना माना जा रहा है।
26 के बाद बोल देंगे
अभी आचार संहिता है। २६ को खत्म हो जाएगी। इसके बाद व्यापारियों को बोल देंगे। जो महिलाएं आई थी। वह मंडी की नहीं व्यापारियों के यहां काम करती है। और उन्हीं की मजदूर है। मजदूरी बढ़ाने की मांग लेकर आईथी। -ओपी शर्मा, सचिव, मंडी
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