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वन-वन इलेवन पढऩे वाली संताने कैसे बचाएगी धर्म

locationमंदसौरPublished: Jan 09, 2019 08:37:13 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

आजकल की संताने इंग्लिश मीडियम में पढ़ती है कान्वेंट में पढ़ती हैं वो क्या तुम्हारे मरने के पश्चात तर्पण करेगी, श्राद्ध मनाएगी क्योकि उन्होने तो वन, टू, थ्री पढ़ा है तो तिथि कहां से याद आएगी।

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मंदसौर.
आजकल की संताने इंग्लिश मीडियम में पढ़ती है कान्वेंट में पढ़ती हैं वो क्या तुम्हारे मरने के पश्चात तर्पण करेगी, श्राद्ध मनाएगी क्योकि उन्होने तो वन, टू, थ्री पढ़ा है तो तिथि कहां से याद आएगी। अगर तिथि ग्यारस को आ गयी पूनम को आ गयी तो वन-वन इलेवन पढऩे वाली संतानेे कहां से श्राद्ध कर देगी। यह बात संत कमलकिशोर नागर ने कहीं। वे बुधवार को शहर के पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र स्थित चंद्रपुरा में आयोजित भागवत कथा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ये जन्माष्टमी और रामनवमी भी बड़े बुजुर्ग आज बैठे है तो मना रहे है वरना आने वाली पीढियां तो ये भी नहीं मनाएगी। हम किस देश में पैदा हुए और किस संस्कृति का ज्ञान ले रहे है। हम हिन्दुस्तानी इंग्लिस्तानी बनते जा रहे है यह कैसा युग प्रारंभ हो रहा है। हम अपने बच्चे को गीता, रामायण जैसे शास्त्रो का अक्षर ज्ञान तक नहीं दे रहे है तो धर्म कहां से बचेगा। उन्होंने कहा कि नशा करना ही है तो प्रभु भक्ति का करो जो नशा एक बार चढ़े और जीवन भर नहीं उतरता है ऐसा नशा करो।
भगवा को मजाक बनाकर रख दिया
भक्ति का, साधू का अग्नि का रंग होता है भगवा जिसे पहनकर भक्ति के चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाना चाहिए आस्थावान हो जाना चाहिए। धर्म के मार्ग पर अटूट विश्वास के साथ चलना आ जाना चाहिए लेकिन ये क्या आजकल हर कोई भगवा रंग पहनकर घूम रहा है और वह भी खाली फैशन में आखिर समझ क्या रखा है इस भगवा रंग को भगवा में न लगा दो तो भगवान हो जाता है और भगवा का मजाक बनाकर रख दिया तुम मूर्खो ने, भगवा पहनने का अर्थ है सभी को ममता से देखे वात्सल्य प्रेम छलके, जड़ को भी चेतन समझे तो भगवा पहनने का अर्थ समझ में आता है।
माया रुपी संसार में हो गए सब अंधे
नागर ने कहा कि जीवन में व्यक्ति को चार अमृत का पान करना चाहिए पहला अमृत जो है वह है अधरा अमृत जो ना धरा पर न आकाश में वह है मां के द्वारा कराया गया स्तनपान, दूसरा अमृत है चरणामृत जो चरणो को धोकर ग्रहण करते है, तीसरा है पंचामृत जो भगवान का अभिषेक कर ग्रहण करते है और अंत में चौथा अमृत है धरा अमृत जो कथा, भजनो और धर्म के मार्ग पर धरा पर बैठकर पान करते है। इस प्रकार जीवन में व्यक्ति को इन चार अमृतो का पान करना चाहिए, लेकिन इतना कोई नहीं सोचता सबको खाली पैसा-पैसा दिखाई देता है कल्याण का मार्ग कहां है यह दिखाई नहीं देता। इस माया रूपी संसार में सब अंधे हो गए है और वक्त रहते नारायण का नाम नहीं लिया तो कोई हाथ पकडक़र रास्ता पार कराने वाला नहीं है।
मंत्री के पीछे नहीं मंत्रो के पीछे भागो
कमल किशोर नागर ने कहा कि आज जिसे देखो वो मंत्री के पीछे भाग रहा है लेकिन जिसे सून भगवान आ सकते है जिनका स्मरण करने से दूख दूर हो सकते है उन मंत्रो की शक्ति को भूल गया है मंत्र क्या है यह कोई नहीं जानता लेकिन मंत्री क्या है यह सब जानते है। कैसे पढ़े लिखे अनपढ़ बने बैठे है अपने आप का कोई अस्तित्व ही नहीं रहा। पढ लिख कर तो खाली देश में भ्रष्टाचार बढ़ा रहे है फिर तो जीवन का कल्याण को ऐसा तो कोई कार्य जीवन में दिखाई नही दे रहा। पं. नागर ने कृष्ण जन्मोत्सव कथा श्रवण कराई। उन्होंने नरसिंह अवतार, समुन्द्र मंथन से कच्छप, नीलकंठ अवतार प्रसंग, मोहीनी अवतार प्रसंग, वामन अवतार प्रसंग को श्रवण कराया। कथा में हजारो की संख्या में धर्मालुजन उपस्थित हुए और कथा रसपान कर धर्मलाभ लिया।
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