जलापूर्ति से जुड़ी योजना में काम की धीमी चाल और ठेकेदार की लापरवाही इस योजना पर भारी पड़ रही है। शहर की इस महत्वकांशी परियोजना का काम पूरा होने की समय-सीमा बीत चुकी है। शहर को जहां चंबल के पानी का इंतजार है तो वहीं इसमें आ रहे अवरोध खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे है। पहले ही योजना में बहुत देर हो चुकी। अब गर्मी ने दस्तक दे दी है और पानी अभी भी शहर पहुंचने में कईमाह का वक्त लगेगा।
चंबल की योजना इन तकनीकि कारणों से अब तक अधूरी
जानकारी के अनुसार कोल्वी में चंबल पर जहां इंटकवेल बनाया जा रहा है। वहां पर पोर्ट का काम करना है। जो तीन लेयर में होगा। एक ऊपर जो जलस्तर ऊपर होने पर काम करना, एक बीच में जो जलस्तर कम होने पर काम करेगा और तीसरा नदी के तल पर जो जलस्तर पूरा कम होने पर काम करेगा। यह तकनीकि रुप से अहम काम है। जो अब तक नहीं हुआ। वहीं पंप स्टॉलेशन और फिनिशिंग भी बाकी है। इसके अलावा एमपीईबी की २२ किमी की विद्युत लाईन के अलावा कोल्वी में पॉवर सब स्टेशन बनना है। जो बाकी है। दरअसल, जब प्रोजेक्ट तैयार हुआ था तब ४ किमी दूर से लाईन लाने की बात इसमें शामिल थी, लेकिन कंपनी यहां से २४ घंटे बिजली देने से इंकार किया।तो अब २२ किमी दूर से लाईन पर सहमति बनी।वहीं रेलवे क्रॉसिंग की रेलवे से अनुमति नहीं मिली है। इसकी प्रक्रिया अभी भी चल रही है।
जानकारी के अनुसार कोल्वी में चंबल पर जहां इंटकवेल बनाया जा रहा है। वहां पर पोर्ट का काम करना है। जो तीन लेयर में होगा। एक ऊपर जो जलस्तर ऊपर होने पर काम करना, एक बीच में जो जलस्तर कम होने पर काम करेगा और तीसरा नदी के तल पर जो जलस्तर पूरा कम होने पर काम करेगा। यह तकनीकि रुप से अहम काम है। जो अब तक नहीं हुआ। वहीं पंप स्टॉलेशन और फिनिशिंग भी बाकी है। इसके अलावा एमपीईबी की २२ किमी की विद्युत लाईन के अलावा कोल्वी में पॉवर सब स्टेशन बनना है। जो बाकी है। दरअसल, जब प्रोजेक्ट तैयार हुआ था तब ४ किमी दूर से लाईन लाने की बात इसमें शामिल थी, लेकिन कंपनी यहां से २४ घंटे बिजली देने से इंकार किया।तो अब २२ किमी दूर से लाईन पर सहमति बनी।वहीं रेलवे क्रॉसिंग की रेलवे से अनुमति नहीं मिली है। इसकी प्रक्रिया अभी भी चल रही है।
लोनिवि ने अनुमति जरुर दी है। एमपीआरडीसी से भी अनुमति लेना है। अब अध्यक्ष नहीं है तो एमपीईबी, रेलवे, एमपीआरडीसी को अनुमति के साथ दी जाने वाली राशि का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। अनुमति के बाद यहां पाईप लाईन का काम होगा। यह सबकाम पूरा होने के बाद चंबल का पानी मंदसौर आ सकेगा और फिर शहर में करीब डेढ़ करोड़ लागत से पाईप लाईन बिछाने का काम भी किया जाना है। देरी के कारण योजना की लागत भी करीब डेढ़ करोड़ रुपए तक बढ़ गई है। ऐसे में चंबल की योजना की लागत करीब ५५ करोड़ तक पहुंच रही है।
ठेकेदार को तलब कर मांगा जवाब
येाजना में बहुत देरी हो चुकी है यह सही है। ठेकेदार को तलब किया था। इसमें मैकेनिकल से लेकर सिविल का जो काम बाकी है।उन्हें लेकर उससे जवाब मांगा है। काम में देरी से लेकर काम कब तक पूरा होगा। इसे लेकर लिखित में जवाब मांगा है। काम में यदि देरी की तो कार्रवाई की जाएगी।जो काम अधूरा है। उसे जल्द पूरा कराया जाएगा। -आरपी मिश्रा, सीएमओ, नपा