कारण बेटों की पढ़ाई और उन्हें शिखर पर पहुंचाने के लिए लिया कर्ज।और बेटों के बाहर जाने के कारण परिवार की जवाबदारी। जो मेहनत मजदूरी के साथ अब भी जारी है। यह कहानी हैओम पाटीदार की। उनके दो बेटे है। एक सेना में जवान है तो दूसरा उदयपुर में इंजीनियर है।
सेना में रहकर कर रहा देशसेवा
बरखेड़ापंथ रहने वाले ओम पाटीदार बताते है कि उनका छोटा बेटा महेंद्र पाटीदार भारतीय सेना में है। मईमें उसे तीन साल पूरे हो जाएंगे।सीकर पढऩे के लिए भेजा था। वहां ट्रेनिंग की। वहीं से सेना में जाने का जूनुन सवार हुआ तो उसके सपनों को पूरा करने की ठानी और हर संभव मदद करते हुए सेना तक पहुंचा।
बेटे के सेना में होकर देश सेवा करने पर उन्हें अब गर्व है। वर्तमान में वह यूपी के बदिना में पदस्थ है। और बड़ा बेटा मनोहर पाटीदार सिविल इंजीनियर है जो उदयपुर में काम कर रहा है। पाटीदार ने बताया कि मंडी में तुलावटी के साथ गांव में खेतों में मजदूरी के काम करते हुए परिवार की आवश्यकता को पूरा करने के साथ दोनों बेटो को मुकाम तक पहुंचाया।इसी बीच कईबार दोनों बेटो ने परिवार की मध्यम स्थिति को देख उनकी मदद करने की बात कही, लेकिन पढ़ाई कर बेहतर मुकाम हासिल कर ही उन्हें इस काम को करने के लिए हमेशा प्रेरित किया।
गांव से निकलकर मंदसौर में ढूंढा काम
गांव में मजदूरी करने के साथ यहां से निकलकर काम की तलाश में मंदसौर पहुंचे तो मंडी में काम मिला।वहीं शुरु किया। मंडी में तुलावटी के काम के साथ गांव में भी काम जारी रखा। लेकिन परिवार की स्थिति और संघर्ष के इस दौर में भी दोनों बेटो को इससे दूर रखा और जब भी जरुरत पड़ी कर्ज लेते रहे और उनकी पढ़ाई जारी रखी।उनकी पढ़ाई के साथ उनकी जरुरतों को भी पूरा करते गए और यह सब तब तक जारी रहा। जब तक बेटे मुकाम पर नहीं पहुंच गए।