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ग्रामीण क्षेत्रों में भीषण जलसंकट,

locationमंदसौरPublished: May 26, 2019 12:11:37 pm

Submitted by:

Nilesh Trivedi

ग्रामीण क्षेत्रों में भीषण जलसंकट,

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ग्रामीण क्षेत्रों में भीषण जलसंकट,


मंदसौर.
जिले में गर्मी बढऩे के बाद जलस्रोत भी जवाब देने लगे है। मई माह में नदी से लेकर तालाब पूरी तरह सुखकर मैदान बनने लगे है तो भूजल स्तर गिरने के साथ अन्य जलस्रोत भी जवाब देने लगे है। ऐसे में ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने से लेकर मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। जिले में ६९ तालाब वर्तमान में सुख चुके है।अकेले नारायणगढ़ क्षेत्रमें ही २० तालाब सुख चुके है। तो जिले की बड़ी नदियां जो जलस्रोत का प्रमुख आधार है। वह भी मैदान बन चुके है। अब गांवों में किसानों से लेकर हर और सभी को समय पर मानसून का इंतजार है।गहराते जलसंकट ने लोगों की मुसीबतों का बढ़ा दिया है।

लिंबावास सहित पूरे जिले के ग्रामीण क्षेत्रमें करीब 7500 हेंडपंप है। लेकिन करीब 900 में पानी की कमी के कारण बंद हो गए है। वहीं 400 नल जल योजना है। इनमें से भी कुछ बंद हो चुकी है। ऐसे मे जल संसाधन विभाग के आंकडो़ के अनुसार जिले मे 6 9 तालाब और सभी सूख चुके है। ऐसे मे आगामी समय में जिले को जल आपूर्ति के लिए विभाग के पास कोई प्लान नही हैं।
वही तालाबों के गहरीकरण को लेकर भी प्रशासन की ओर से कोई अनुमति नहीं मिली है। ऐसे में इस बार बारिश के पूर्व तालाबों का गहरीकरण भी नहीं किया जा रहा है। बढती गर्मी के बीच लोगों को जलसंकट से जुझना पड़ रहा है। जिले के साथ-साथ शहर के कई क्षेत्रो में लोगो को पेयजल के लिए भी भटकना पड़ रहा है। वही कुछ क्षेत्रो मे टेंकर के माध्यम से पानी की सप्लाय की जा रही है।

शहर मे कम ग्रामिण क्षेत्रो में ज्यादा समस्या
वर्तमान समय मे शहरी क्षेत्र में एक दिन छोडक़र पानी की सप्लाई होने के कारण समस्या अधिक नही है। परंतु ग्रामिण क्षेत्रो मे जल संकट गहरा गया है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की सप्लाई नही हो पा रही है और ग्रामिणो को टेंकर के भरोसे अपना कार्य चलाना पड़ रहा है। कुछ गांव में टेंकर से भी एक दिन छोडक़र पानी सप्लाई किया जा रहा है। वही तालाबों मे पानी सुखने कि वजह से आमजन परेशान हो रहा है, वहीं तालाबों कि वजह से कुओं का जल स्त्रोत भी लगातार घटता जा रहा है। वहीं तालाबो में पानी नहीं होने कि वजह से मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए भी ग्रामीणों को भटकना पड़ रहा है। अभी तो गर्मी के करीब 45 से 6 5 दिन और निकलना बाकी है और ऐसे में गहराता जलसंकट ग्रामीण लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन रहा है।
इसी मुद्दें को लेकर शुक्रवार को पत्रिका ने अलग-अलग जगहों पर पहुंचकर पंडताल की। इसमें अधिकांश जगह भयावह स्थिति ही नजर आई। कुछ गांवो में पहुंचकर स्थिति देखी। गांव मे तालाब, नदी, तलाई सब सुख चुके है। इसके चलते परेशानियां खड़ी हो रही है। लिंबावास, में दो तालाब एव एक तलाई है जो कि गहरीकरण नहीं होने से सुख चुकी है।
बांसखेडी में भी दो तालाब है वो भी पूरी तरह से सुख चुके है। बुढा व ईरली के लाकेरिया तालाब वो भी गर्मी के मोसम मे पूरी तरह से सुख चुका है। सोम्या का तालाब व डेंम भी पूरी तरह सुख चुका है। इसके चलते हर कोई हो पेरशान हो रहा है। बादपूर मे भी तीन तालाब है वो भी पूरी तरह से सुख चुके है। वहीं ढाबला मे भी एक तालाब है वो भी सुख गया है। लगभग क्षेत्र में हर तरह के तालाब सुख चुके है वही झार्डा की रेतम बेराज नदी भी पूरी तरह से सुख चुकी है। कुछ जगहों पर हैसिर्फ थोड़ा पानी।शुक्रवार को 18 तालाब, 5 तलाई एवं 7 में डेम व नदी सुखी हुई। मिली वही कालिया खेडी, मुजाखेडी,़ भिलखेडी सहित कई गांव है। जहा पर तालाबों व नदियो में पानी की एक बुंद भी नहीं है।

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