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नेहरु की सरकार में मंदसौर को मिला था केंद्र की सरकार में काटजू के रुप में प्रतिनिधित्व

locationमंदसौरPublished: May 26, 2019 12:16:19 pm

Submitted by:

Nilesh Trivedi

नेहरु की सरकार में मंदसौर को मिला था केंद्र की सरकार में काटजू के रुप में प्रतिनिधित्व

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नेहरु की सरकार में मंदसौर को मिला था केंद्र की सरकार में काटजू के रुप में प्रतिनिधित्व


मंदसौर.
देश की राजनीति में मंदसौर संसदीय क्षेत्र की प्रभावी भूमिका रही है। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मंदसौर में आते रहे है। लेकिन केंद्र सरकार के मंत्रीमंडल में मंदसौर को स्थान नहीं मिला।अब तक की चुनी हुईसरकार में सिर्फ एक बार ही मंदसौर को केंद्र सरकार के रुप में डॉ. कैलाशनाथ काटजू के रुप में प्रतिनिधित्व में मिला। वह भी मध्यभारत काल के समय।
अधिकांश बार यहां जनसंघ से लेकर भाजपा के सांसद चुने गए।लेकिन न तो भाजपा और न हीं कांग्रेस की सरकार में यहां चुने गए कांग्रेस के सांसदों को मौका मिला।अब किसान आंदोलन के बाद देश की राजनीत में सुर्खियों में आने के बाद अब उम्मीद जगाई जा रही है कि शायद अब यह तिलिस्म टूटे। परिणाम के बाद से ही इस पर चर्चाओं का दौर शुरु हो गया है।
देश को पहला गृहमंत्री देने वाले मंदसौर की झोली रही अब तक खाली
आजादी के बाद मध्यभारत काल में वर्ष १९५१ में चुनाव हुए। उस समय देश की पहली सरकार चुनी गई।इसमें मंदसौर संसदीय क्षेत्र से डॉ. कैलाशनाथ काटजू चुने गए। और वह देश की इस पहली चुनी हुई सरकार में गृहमंत्री बने थे। इस तरह मंदसौर ने देश को पहला गृहमंत्री दिया। लेकिन इसके बाद से अब तक मंत्री के नाम पर मंदसौर की झोली खाली रही है।इसके बाद मध्यभात काल में ही १९५७ में कांग्रेस के माणकभाई अग्रवाल यहां से सांसद चुने गए थे। काटजू को नेहरु ने मध्यप्रदेश का जिम्मा दिया और वह कुछ समय बाद जावरा से विधायक रहते हुए मप्र के मुख्यमंत्री रहे थे। लेकिन मध्यभारत काल के बाद से अब तक हुए चुनाव में अधिकांश बार भाजपा को ही मंदसौर की जनता ने अपना प्रतिनिधि चुनकर दिल्ली भेजा, लेकिन दिल्ली में सरकार में मौका नहीं मिला।

यहां के नेता दूसरी जगह से जीतकर बने मंत्री लेकिन मंदसौर को कभी नहीं मिला मौका
मंदसौर क्षेत्र ने राजनीति को कई दिग्गज नेता दिए। इसमें डॉ. काटजू तो भाजपा के वीरेंद्र सखलेचा और सुंदरलाल पटवा तीन मुख्यमंत्री रहे तो डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे प्रदेशाध्यक्ष रहे। लेकिन केंद्र मंत्री सिर्फ काटजू रहे। मंदसौर क्षेत्रमें रहने वाले नेता दूसरी जगह जाकर चुनाव जीतकर मंत्री बनें लेकिन मंदसौर जहां अधिक बार भाजपा ने जीत हासिल की। लेकिन मंदसौर को मौका नहीं मिला।संसदीय क्षेत्रमें पटवा नीमच जिले के कुकडेश्वर तो सत्यनारायण जटिया जावद में रहे और शिक्षा अर्जित की। लेकिन जटिया उज्जैन से जीतने के बाद मंत्री बनें तो पटवा छिंदवाड़ा और खरगोन से जीतने के बाद मंत्री बनें। लेकिन भाजपा की सरकार में मंदसौर की झोली हमेशा खाली रही। तो कांग्रेस ने भी काटजू के रुप में सिर्फएक बार मंदसौर को प्रतिनिधित्व दिया।

मंदसौर सीट पर रहा भाजपा का दबदबा
मंदसौर सीट पर अधिकांश बार भाजपा व जनसंघ का दबदबा रहा है। मध्यभारत स्टेट के समय में दो बार लगातार कांग्रेस के सांसद यहां से निर्वाचित हुए तो इसकेे बाद प्रादेशिक व्यवस्था १९६२ के बाद से अब तक के हुए लोकसभा चुनाव में अब तक सिर्फ ३ बार कांग्रेस को जीत मिली है। इसमें १९८० व ८४ के चुनाव में दो बार लगातार कांग्रेस को जीत मिली। इसके अलावा अब तक जितने भी चुनाव हुए उनमें भाजपा को जीत मिली है। जनसंघ के समय तीन बार तो एक बाद लोकदल से और ७ बार भाजपा को इस सीट से जीत मिली है। लेकिन मंत्री सिर्फएक बार १९५१ में काटजू ही रहे।
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