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हार के बाद कांग्रेस में संगठन में बदलाव की मांग हुई तेज

locationमंदसौरPublished: May 28, 2019 12:03:59 pm

Submitted by:

Nilesh Trivedi

हार के बाद कांग्रेस में संगठन में बदलाव की मांग हुई तेज

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हार के बाद कांग्रेस में संगठन में बदलाव की मांग हुई तेज

मंदसौर.
विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में विरोध के स्वर तेज होने लगे है। सोशल मीडिया पर कांग्रेस के ही नेता खुलकर भड़ास निकलने में लगे है और वर्तमान जिलाध्यक्ष प्रकाश रातडिय़ा के इस्तीफे की मांग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्टों में होने लगी है। इतना ही नहीं शामगढ़ में कांग्रेस सेवादल के अध्यक्ष ने भी हार के बाद इस्तीफा दे दिया।
विधानसभा चुनाव की अपेक्षा लोकसभा में कांग्रेस को जिले में पांच गुना अधिक मतों से करारी हार मिली है। हालांकि अभी कांग्रेस में क्षेत्र व जिले से मिली हार की समीक्षाओं का दौर शुरु भी नहीं हुआ कि विरोध के स्वर बुलंद होने लगे है। हार के लिए सीधे संगठन पर सवाल खड़े किए जाने का सिलसिला जिले में चल पड़ा है।

विधानसभा से पांच गुना अधिक मतों से लेाकसभा में कांग्रेस को मिली हार
जून-२०१७ में हुए किसान आंदोलन के बाद नवंबर-२०१८ में हुए विधानसभा चुनाव में जिले की चार सीटों में कांग्रेस को सिर्फ सुवासरा सीट पर वह भी सिर्फ ३५० वोटों से जीत मिली थी। तो मल्हारगढ़ करीब १२, गरोठ २५०० और मंदसौर सीट पर १८ हजार से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब लोकसभा चुनाव में जिले की चारों सीटों पर विधानसभा की तुलना में पांच गुना अधिक मतों से एक तरफा अंदाज में हार मिली है।गरेाठ में ५३१०७, सुवासरा में ५४९३३, मल्हारगढ़ ४०८१६ और मंदसौर में ४६१६७ वोटों से कांग्रेस को शिकस्त मिली है। इस तरह लोकसभा चुनाव में जिले में कांग्रेस करीब २ लाख वोटों से हारी है। हालांकि इसे कईलोग तो मोदी लहर के कारण ऐसा होना बता रहे है तो पार्टी के अंदर ही कई लोग संगठन कमजोर होने के कारण पराजय मिलना बता रहे है। ऐसे में संगठन में बदलाव और विरोध के स्वर बढऩे लगे है।

संगठन में फेरबदल की होने लगी हर और चर्चाएं
कांग्रेस की जिले में बुरी हार के बाद जिला व ब्लॉक स्तर तक संगठन में बदलाव की चर्चाओं का दौर शुरु हो चुका है। तो हार के कारणों के पीछे तरह-तरह की चर्चाएं भी हो रही है। कोई नेताओं द्वारा कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं दिए जाने तो कोई कार्यकर्ताओं को साथ लेकर नहीं चलते तो उनकी सुनवाई नहीं करने का यह परिणाम बता रहा है। यहां तक की हार के बाद प्रदेश स्तर पर भले ही समीक्षा का दौर चला हो अभी जिले में हार की समीक्षा शुरु भी नहीं हुई लेकिन यहां संगठन में बदलाव की बातें तेज हो गईहै। तो हार की जिम्मेंदार का ठिकारा चौराहों से लेकर चौपाल और सोशल मीडिया पर खुले रुप से वर्तमान संगठन के सिर फोंड़ा जा रहा है।

कईनामों पर हो रही चर्चा
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पूर्वमंदसौर नपा में शासन से कार्यवाहक अध्यक्ष का निर्णय आपसी खींचतान के कारण नहीं हो पाया।इसी भी इसी से जोडक़र देखा जा रहा। किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाने के कारण अध्यक्ष की कुर्सी किसी के हाथ नहीं लगी और वह खाली रह गई।अब उपचुनाव नजदीक है। ऐसे में संगठन में बदलाव के साथ जिले में कांग्रेस संगठन को फिर से मजबूत रुप से खड़ा करने के लिए कई नए नामों पर चर्चा हो रही तो सोशल मीडिया पर भी यह नाम चल रहे है। जो आने वाले समय में नपा के होने वाले उपचुनाव में पार्टी को फायदा पहुंचा सकें और कांग्रेस संगठन को फिर से मजबूत कर सकें।

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