जैन धर्मावलम्बियों को चेत्य व गुरूवंदन सिखना जरूरी है- साध्वी सुप्रसन्ना मसा
मंदसौरPublished: Jul 21, 2019 01:04:54 pm
जैन धर्मावलम्बियों को चेत्य व गुरूवंदन सिखना जरूरी है- साध्वी सुप्रसन्ना मसा
मंदसौर
जैन श्रावक श्राविकाओं को चेत्यवंदन गुरूवंदन व प्रतिक्रमण की क्रिया व उसका अर्थ सिखना बहुत जरूरी है। प्रत्येक श्रावक श्राविकाओं इस चातुर्मास में ये तीनों सिखें और अपने को ज्ञान प्राप्ति के मार्ग की ओर अग्रसर करे। यह बात साध्वी सुप्रसन्ना मसा ने चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि इस वर्ष हमारे चातुर्मास का विषय है आत्म जाग्रति का शंखनाद। जीवन में यदि आत्मा जागृति लीन है। तो ज्ञान की महिमा समझनी होगी। जैन आगम में चेत्यवंदन, गुरूवंदन व प्रतिक्रमण की जो क्रिया एवं उसका भावार्थ जो है उसे सिखना जरूरी है। आजकल जैन उपश्रायों में जैन गुरूवंदन करने के लिए कहा जाता है तो एक हो वृद्ध श्रावक ही नजर आते है जबकि गुजरात अन्य प्रांतों में बच्चे व युवा गुरूवंदन कर लेते है तथा दूसरों से भी गुरूवंदन कराते है। इसलिए चातुर्मास में प्रतिदिन गुरूवंदन, चेत्यंवदन व प्रतिक्रमण सिखना चाहते है। तो प्रतिदिन एक घंटे का समय निर्धारित करे जो भी यह सिखना चाहते है वे रूपचांद भवन आए।
अधुरा नहीं परफेक्ट ज्ञान सीखे
साध्वी ने कहा कि हर वर्ष चातुर्मास होता है। चातुर्मास में हर वर्ष अलग-अलग शास्त्रों पर प्रवचन होते है। इसके बाबजूद भी हम जैन आगमों में जो ज्ञान की बाते है उन्हें ंपरफेक्ट तरीके से नहीं समझते है। जीवन में अधुरा नहीं पुरा ज्ञान सिखे। धर्मसभा के पश्चात कांतिलाल दुग्गड परिवार की से प्रभावना वितरित की गई।