पढ़ाई का स्तर गिरने से शासकीय स्कूलों से हो रहा ‘पालकों का मोह भंग
मंदसौरPublished: Jul 23, 2019 12:00:09 pm
पढ़ाई का स्तर गिरने से शासकीय स्कूलों से हो रहा ‘पालकों का मोह भंग
मंदसौर.
जिले के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों से पालकों का मोह भंग होता जा रहा है। इसकी सबसे बड़ा कारण है पढ़ाई का स्तर गिरना। यह हम नहीं यह विभाग के आंकड़े बंया कर रहे है। जिसके चलते साल दर साल नामांकन जिले के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कम होते जा रहे है। जब कि शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा लाखों रूपए खर्च कर प्रशिक्षण शिविर आयोजित करवाता है। फिर भी हालात नहीं सुधर रहे है। जब अधिकारियों से इसके बारे में पूछा जाता है तो वे नामांकन बढ़ाने के लिए प्रयास करने का कहकर जिम्मेदारी पूरी समझ लेते है।
विभाग की रिपोर्ट ने ही खोली थी पोल
आठवी के विद्यार्थियों के पढ़ाई का स्तर कितना है। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा गत वर्ष बकायदा टेस्ट करवाया गया था। इसमें करीब १५ हजार से अधिक विद्यार्थियों ने भाग भी लिया था। जिसमें सामने आया था कि करीब ८० फीसदी विद्यार्थियों को तो कक्षा आठवी तक का ज्ञान नहीं है। वहीं बड़ी संख्या में ऐसे विद्यार्थी थे जिनको कक्षा छटी तक का ज्ञान नहीं था। मतलब उस कक्षा के स्तर की जानकारी भी नहंी थी।
२४ हजार विद्यार्थियों को हुआ प्रवेश कम
डीपीसी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सन् २०१५-१६ में सरकारी स्कूलों में नामाकंन १ लाख १९ हजार २०३ था। जो सन् २०१९ में घटकर ८६ हजार ५९० हो गई। यानि कि २४ हजार नामाकंन घटे। और इन विद्यार्थियों ने निजी स्कूलों मेंं प्रवेश लिया। साल दर साल करीब पांच से आठ हजार विद्यार्थियों की संख्या निजी स्कूलों में बढ़ रही है। जबकि विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाया जाए से लेकर हर तरह का प्रशिक्षण शिक्षकों को दिया जा रहा है।
फैक्ट फाइल
वर्ष सरकारी स्कूल नामाकंन निजी स्कूल नामाकंन
२०१५-१६ ११९२०३ ७४६८२
२०१६-१७ १०७६६७ ७७९७६
२०१७-१८ ९३२०० ८२०००
२०१८-१९ ८८२६० ११५१८०
२०१९-२० ८६५९० १,०३,६७३
इनका कहना…
यह बात सही है कि हर साल सरकारी स्कूलों में नामाकंन की घटते जा रहे है। नामाकंन की संख्या बढ़ाने के लिए हर साल प्रयास किए जाते है। और शैक्षणिक व्यवस्था गुणवत्ता युक्त हो इसके लिए भी लगातार काम किया जा रहा है। योजना बनाकर स्कूलों में नामाकंन बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया जाएगा।
आरएल कारपेंटर, जिला शिक्षा अधिकारी