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चुनाव से पहले सिधिंया की माला पर तेज हुई यहां की सियासत

locationमंदसौरPublished: Mar 19, 2019 01:30:54 pm

Submitted by:

Nilesh Trivedi

चुनाव से पहले सिधिंया की माला पर तेज हुई यहां की सियासत

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चुनाव से पहले सिधिंया की माला पर तेज हुई यहां की सियासत


मंदसौर.
नंबवर-2018 में हुए विधानसभा चुनाव और इससे पहले जिले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिंया ने किसान आंदोलन को अपने भाषण में मुद्दा बनाया था। किसान आंदोलन के पीडि़त परिजनों को न्याय दिलाने और न्याय नहीं मिलने तक माला नहीं पहनने की बात कही थी तो सरकार के आने के बाद इस आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए प्रकरणों को वापस लेने का भी वादा किया था,
लेकिन सरकार बनने के बाद ऐसा कुछ नहीं हुआ और अब सिधिंया यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान माला पहन रहे है। ऐसे में भाजपा ने इस पर कटाक्ष किया है और सोशल मीडिया ट्वीट किया है। सिधिंया के बयान और अभी माला पहनने को लेकर लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है। इसे लेकर भाजपा ने सिधिंया पर निशाना साधा है। वहीं पीडि़त परिवारों के परिजनों को अब तक न्याय का इंतजार है।

चुनावी सभाओं से लेकर वचन पत्र में शामिल कर बनाया बड़ा मुद्दा
किसान आंदोलन और मारे गए किसानों और इसमें किसानों पर दर्ज हुए प्रकरणों को कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने प्रचार का सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था और वचन पत्र में शामिल किया था और सरकार बनने के बाद १० दिन बाद न्याय दिलाने और दोर्षियों पर एफआरआर दर्ज करने का भरोसा दिया था तो सिधिंया ने मंदसौर में अपनी सभा के दौरान जब तक किसानों के परिजनों को न्याय नहीं मिलता तब तक माला नहीं पहनने की बात कही थी।
गोलीकांड में मृत हुए किसानों के परिजनों को अभी तक न्याय का भले ही इंतजार है, लेकिन सिधिंया के माला पहने फोटो आने से इस पर भाजपा ने सिधिंया को घेरना शुरु कर दिया है।सरकार बनने के बाद गृहमंत्री का फिर से जांच का बयान आया तो आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को न्याय की आस जागी, लेकिन गृहमंत्री के विधानसभा में आए बयान के बाद इस मामले में राजनीतिक बवाल मचा। हालंाकि दोबारा बयान आया और जांच की बात कही, लेकिन किसानों के परिजन नई सरकार के धोखा देने की बात कह रहे है। १० दिनों में न्याय का भरोसा देने के बाद अब तक इस पर पहल नहीं हुई और बयानों में भी मुकर रहे है।

बरसी पर न्याय का किया था वादा, वचन पत्र में शामिल था मुद्दा
६ जून २०१७ को किसान आंदोलन के दौरान गोलीकांड में पांच किसानों की मौत हुई तो बड़वन के एक किसान की बाद में मौत हुई थी। एक साल बाद ६ जून २०१८ को पिपलियामंडी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा हुई।
इसमें गांधी से लेकर ज्योतिरादित्य सिधिंया ने तत्कालीन भाजपा सरकार पर किसानों की हत्या करने का आरोप लगाया और कांग्रेस की सरकार बनने के बाद १० दिनों में न्याय दिलाने का वादा किया था। जुलाई २०१८ में सिधिंया बड़वन व बरखेड़ा पंथ भी पहुंचे। वहां भी इन्होंने सरकार बनने के बाद न्याय दिलाने का वादा किया था। तो मंदसौर में भी सिधिंया ने रोड शो कियाथा। इसी बीच सभी ६ किसानों के घरों पर मिलने जिनते भी नेता पहुंचे सभी ने न्याय दिलाने की बात कहते हुए उनके साथ खड़े होने की बात थी।
अब तो न्याय की बात ही झूठी लगने लगी
किसान आंदोलन में बड़वन के मृतक घनश्याम के पिता दुर्गालाल धाकड़, लोध के मृतक सत्यनारायण के बड़े भाई कन्हैयालाल धनगर, टकरावद के मृतक पूनमचंद के बड़े पापा बलराम पाटीदार, नीमच जिले के नयाखेड़ा के मृतक चेनराम के भाई गोविंद, बरखेड़ापंथ के मृतक अभिषेक के पिता दिनेश पाटीदार, चिल्लोद पिपलिया के मृतक कन्हैयालाल पाटीदार के भतीजे संजय पाटीदार ने बताया कि घटना के बाद से उन्हें न्याय का इंतजार है। जिन्होंने गोलियां चलाई। उन पर एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई। जैन आयोग ने क्लीनचिट दे दी। कांग्रेस ने सरकार बनने के बाद न्याय का वादा किया था। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। अनेक नेताओं ने साथ खड़े रहने का भरोसा दिया तो न्याय का वादा किया, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।अब तो न्याय की बात ही झुठी लगने लगी है। यहां तक की अब तक आस ही टूटने लगी है।
किसानों की लड़ाई लड़ी है
किसानों की हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ी है। जो वचन दिया वह पूरा किया है। कर्जमाफी से लेकर उपज के दाम दिलाने के लिए काम किया है। किसान आंदोलन के पीडि़तों को न्याय दिलाने और प्रकरण वापस दिलाने की शासन स्तर पर प्रक्रिया चल रही है। -मुकेश काला, सचिव, प्रदेश कांग्रेस
सिधिंया की बात हाथी के दांत के सामने
हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और है। यहां वह संकल्प करते है और यूपी में प्रचार के दौरान स्वागत सम्मान करवाते है। चुनाव आ गया तो उन्हें कार्यकर्ताआ गया और कह रहे है कि पोलिंग जिताओ और मंच पर बैठो। सिङ्क्षधया मंच पर बैठने का कार्यकर्ताओं को प्रलोभ दे रहे है। -यशपालसिंह सिसौदिया, विधायक, मंदसौर
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