मजदूरी के लिए यहां आए थे
मजदूरी के लिए यह परिवार यहां आया था। खुले में रहता था। एक ही आदिवासी परिवार है जो राणापूर से आया था। सालों से यही रह रहे है और इनकी मेहनत और व्यवहार से ग्रामीणों का दिल जीता तो ग्रामीणों ने यहां के दस्तावेज बनवाने से लेकर इनकी खूब मदद की। आज भी यह परिवार मजदूरी कर अपना बसेरा कर रहा है। आरक्षण में आदिवासी सीट आई तो एक ही परिवार होने के कारण ग्रामीणों ने इन्हें सरपंच चुना। अब सभी इन्हें गांव के विकास में सहयोग करेंगे।-पन्नालाल सूर्यवंशी, ग्रामीण
मजदूरी के लिए यह परिवार यहां आया था। खुले में रहता था। एक ही आदिवासी परिवार है जो राणापूर से आया था। सालों से यही रह रहे है और इनकी मेहनत और व्यवहार से ग्रामीणों का दिल जीता तो ग्रामीणों ने यहां के दस्तावेज बनवाने से लेकर इनकी खूब मदद की। आज भी यह परिवार मजदूरी कर अपना बसेरा कर रहा है। आरक्षण में आदिवासी सीट आई तो एक ही परिवार होने के कारण ग्रामीणों ने इन्हें सरपंच चुना। अब सभी इन्हें गांव के विकास में सहयोग करेंगे।-पन्नालाल सूर्यवंशी, ग्रामीण
गांव वालों ने सालों से की सहायता, अब करेंगे सेवा
३० साल पहले जब मैं छोटा था तो मेरे पिता के साथ यहां आया था। तब स्कूल के सामने खुला मैदान था वहा रहते थे। राणापुर क्षेत्र में मजदुरी नहीं मिलती थी इसलिए यहां आए थे। बारिश में ग्रामीणों ने सहायता कर झोपडिय़ा बनवाई और हम रहने लगे। गांव के पटेल के यहां हाली (मजदुरी) का काम करते थे। राशनकार्ड से लेकर आधार और वोटर आईडी सबकुछ है। गांव वालों ने सालों से हमारी सहायता की और हम यहां बस गए। गांव में हमारा ही एक परिवार है। जब सीट आरक्षण में आई तो गांव वालों ने हमें सरपंच बनाना तय किया। जिस गांवों ने सालों से हमारी सहायता की अब उस गांव की सेवा करेंगे। आक्याबिका से लेकर बासखेड़ी में पानी की समस्या हल करने का सबसे पहले काम करेंगे।-धन्नालाल, सतपंच पति
३० साल पहले जब मैं छोटा था तो मेरे पिता के साथ यहां आया था। तब स्कूल के सामने खुला मैदान था वहा रहते थे। राणापुर क्षेत्र में मजदुरी नहीं मिलती थी इसलिए यहां आए थे। बारिश में ग्रामीणों ने सहायता कर झोपडिय़ा बनवाई और हम रहने लगे। गांव के पटेल के यहां हाली (मजदुरी) का काम करते थे। राशनकार्ड से लेकर आधार और वोटर आईडी सबकुछ है। गांव वालों ने सालों से हमारी सहायता की और हम यहां बस गए। गांव में हमारा ही एक परिवार है। जब सीट आरक्षण में आई तो गांव वालों ने हमें सरपंच बनाना तय किया। जिस गांवों ने सालों से हमारी सहायता की अब उस गांव की सेवा करेंगे। आक्याबिका से लेकर बासखेड़ी में पानी की समस्या हल करने का सबसे पहले काम करेंगे।-धन्नालाल, सतपंच पति
मजदूरी करते है, अब करेंगे सेवा
गांव में रहकर मजदूरी का काम करते है। इस चुनाव में आदिवासी सीट आई है तो गांव वालों ने सरपंच बनाया है। अब तक पटेल साहब के यहां और गांव में जहां भी मजदुरी मिलती है वहां काम करते थे। अब गांव वालों की सेवा करेंगे। गांव वालों के साथ मिलकर शासन की मदद से जो भी आएगा वह सब काम करेंगे। गांव में उनका ही परिवार है। ३५ सालों से वह यहां रह रहे है। अब यही के हो गए है। जैसा गांव वाले कहेंगे वही विकास का काम करेंगे।-मांगीबाई, आक्याबिका की निर्विरोध चुनी गई सरपंच
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