क्या कहा नाहरू खान ने
घंटी बनाने बाले नाहरू खान ने कहा- हम अज़ान सुनते हैं, इसलिए मैंने सोचा कि घंटियों का बजना भी सुना जाना चाहिए। इसलिए मैं ने ये घंटी बनाई है। उन्होंने बताया कि यह घंटी निकटता सेंसर पर काम करती है। घंटी बजाने के लिए उसे स्पर्श करने की जरूरत नहीं है बिना स्पर्श किए ही यह घंटी बजती है।
घंटी बनाने बाले नाहरू खान ने कहा- हम अज़ान सुनते हैं, इसलिए मैंने सोचा कि घंटियों का बजना भी सुना जाना चाहिए। इसलिए मैं ने ये घंटी बनाई है। उन्होंने बताया कि यह घंटी निकटता सेंसर पर काम करती है। घंटी बजाने के लिए उसे स्पर्श करने की जरूरत नहीं है बिना स्पर्श किए ही यह घंटी बजती है।
मंदसौर के रहने वाले मुस्लिम समाज के नाहरू खान ने कहा कि मैंने सोचा क्यों न ऐसा कोई इंतजाम करें कि भक्तों की इच्छा पूरी हो और घंटा भी बजे। बस फिर क्या था नाहरू खान अपने औजार लेकर मंदिर पहुंच गए और कुछ ही घंटों की मेहनत से मंदिर के गर्भगृह के बाहर लगे घंटे को सेंसर से जोड़ दिया। नाहरू भाई के इस अनूठे काम से मंदिर के पुजारी और भक्त दोनों ही खुश हैं।
घंटे में लगा है सेंसर
हैरान होने की जरुरत नहीं है हम आपको बता दें कि जो घंटा भक्तों के बिना हाथ लगाए बजता है वो दरअसल सेंसर से जुड़ा हुआ है और जैसे ही कोई भक्त मंदिर के गर्भगृह के बाहर लगे इस घंटे की तरफ हाथ बढ़ाता है तो सेंसर एक्टिव हो जाता है और घंटा बिना हाथ लगाए ही बज जाता है।
नाहरू खान पहले भी बना चुके हैं कई उपकरण
मंदिर के घंटे को सेंसर से जोड़ने वाले नाहरू खान इससे पहले भी कई तरह के प्रयोग कर चुके हैं। कोरोना काल में ही उन्होंने जुगाड़ से सेनेटाइजर की मशीन भी बनाई थी और उसे जिला अस्पताल को दान कर दिया था। वो हाथ धोने की मशीन भी बना चुके हैं।
मंदिर के घंटे को सेंसर से जोड़ने वाले नाहरू खान इससे पहले भी कई तरह के प्रयोग कर चुके हैं। कोरोना काल में ही उन्होंने जुगाड़ से सेनेटाइजर की मशीन भी बनाई थी और उसे जिला अस्पताल को दान कर दिया था। वो हाथ धोने की मशीन भी बना चुके हैं।