वर्ष में 4 नवरात्रि, 2 जागृत, 2 गुप्त
वर्ष में कुल 4 नवरात्रि आती हैं। इनमें दो नवरात्रि गुप्त और दो जाग्रत हैं। चैत्र नवरात्रि जाग्रत व बड़ी व अश्विन नवरात्रि जाग्रत व छोटी होती हैं। आषाढ़ व माघ की नवरात्रि गुप्त हैं। यह तंत्र-मंत्र व साधना के लिए श्रेष्ठ है। कार्य सिद्धि के लिए लोग मंदिर में गुप्त आराधना व अनुष्ठान कराते हैं। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार प्रतिपदा तिथि का क्षय होने से गुप्त नवरात्रि का पर्व 9 दिन के बजाय 8 दिन का ही रहेगा। शनिवार के दिन पुष्य नक्षत्र होने से यह शनि पुष्य के संयोग में शुरू हो रही है, जो कि कई कार्यों के लिए शुभ रहेगी। 20 जुलाई को अष्टमी की पूजा होगी। मंदिर पूजारियों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में प्रतिदिन देवी का विशेष शृंगार किया जाएगा। सुबह व शाम के समय में माता की महाआरती होगी।
विभिन्न स्वरूपों की होती है पूजा
ज्योतिषाचार्य के अनुसार गुप्त नवरात्र में माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न साधनाएं भी की जाती हैं। गुप्त नवरात्रि में मनचाही सफलता के लिए विशेष उपाय भी किए जाते हैं। वहीं तंत्र शास्त्र के अनुसार गुप्त नवरात्रि में किए गए उपाय जल्दी ही शुभ फल प्रदान कर सकते हैं। धन, नौकरी, स्वास्थ्य, संतान, विवाह, प्रमोशन आदि कई मनोकामनाएं इन 9 दिनों में किए गए उपायों से प्राप्त हो सकती है।
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