नए गेंहू की मंडी में आवक से पहले मंडी ने इस योजना पर काम किया है। मंडी प्रशासन का तर्क है कि प्रांगण में ढेर लगाने से लेकर नीलाम और फिर वारदान में भरने से लेकर तोल करने और फिर व्यापारी के यहां उपज भेजने तक लंबा समय लगता है और ट्रॉली में नीलाम के बाद ट्रॉली सीधे व्यापारी के यहां भेजकर वहीं पर मंडी के कांटे पर तोल करवाया जाए तो समय बचेगा। समय की बचत और किसानों की सुविधा के लिए यह व्यवस्था लागू करने पर विचार किया जा रहा है। बताया तो यह जा रहा है कि मंडी प्रशासन ने इसके लिए व्यापारियों को राजी भी कर लिया है।
यह है मंडी का एक्शन प्लान
ेमंडी में वर्तमान में सीजन की शुरुआत का दौर है। इस बार गेंंहू की अधिक आवक भी संभावना भी नए सीजन में बताई जा रही है। मंडी में सीजन के दौर में किसानों ५ से ६ दिन मंडी में गुजारना पड़ते है। नीलाम से लेकर तोल व उपज के व्यापारी के गोदाम तक लगने वाले समय के कारण एक दिन में कम जिंसे नीलाम हो पाती है। इसलिए नया प्लान तैयार किया जा रहा है। इसमें नीलाम के बाद उपज व्यापारी के यहां मंडी के कांटे पर मंडी के ही तुलावटी व हम्माल तोलने के बाद बारदान में भरने का काम करेंगे।
प्रांगण में ट्रॉलियों में उपज नीलाम की योजना है। गेंहू में यह प्रयोग सफल रहा तो सोयाबीन में भी शुरुआत होगी। इससे समय की बचत होगी और अधिक उपज की नीलाम हो सकेगी। इससे किसानों को मंडी में अधिक समय नहीं रुकना पड़ेगा।
गेंहू में पायलेट प्रोजेेक्ट के रुप में करेंगे शुरुआत
पायलेट प्रोजेेक्ट के रुप में यह व्यवस्था गेंहू में शुरु करने की योजना है। ट्रॉली में गेंहू की नीलाम होने के बाद व्यापारी के यहां उपज का तोल होने से समय की बचत होगी और अधिक उपज नीलाम हो सकेेगी। व्यापारी के यहां भी मंडी का ही तोल कांटा होगा तो तुलावटी व हम्माल भी मंडी के होंगे। गेंहू में यह प्रयोग सफल रहा तो सोयाबीन में भी करेंगे। प्रदेश की अन्य कई मंडियों में ट्रॉलियों में ही नीलाम व्यवस्था है। -जेके चौधरी, सचिव, मंडी