1500 साल बाद बन रहा हे विशेष संयोग
ज्योतिर्विद राघवेंद्ररविश राय गौड़ ने बताया कि इस बार हिंदु नववर्ष की शुरुआत के मौके पर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति न केवल रोचक बल्कि अति दुर्लभ रहेगी। ऐसी स्थितियां 1500 साल बाद बन रही हैं। नववर्ष की शुरुआत के मौके पर रेवती नक्षत्र और 3 राजयोग बन रहे हैं। इसके अलावा नए साल की शुरुआत के मौके पर मंगल अपनी उच्च राशि यानी मकर में, राहु-केतु भी अपनी उच्च राशि वृषभ और वृश्चिक में रहेंगे। वहीं शनि अपनी ही राशि मकर में रहेंगे। इस कारण हिंदू नववर्ष की कुंडली में शनि-मंगल की युति होने का शुभ योग बन रहा है। पंचांग के अनुसार हिंदू नववर्ष के मौके पर ग्रहों का ऐसा शुभ संयोग करीब 1500 साल बाद बन रहा है। इससे पहले यह दुर्लभ योग 22 मार्च 459 को बना था।
न्याय के देवता शनि का रहेगा पूरे वर्ष प्रभाव
हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत 2079 की शुरुआत २ अप्रेल से होने जा रही है। न्याय के देवता शनि ग्रह का 2022 में रहेगा जबरदस्त प्रभाव रहा। वह सुख और समृद्धि दिलाएंगे। दरअसल नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी मानते हैं। इस वर्ष का प्रथम दिन शनिवार को है और इसके देवता शनि है।
इसलिए मनाते है नववर्ष
हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। इसलिए पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है। इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है। ग्रह परिवर्तन नववर्ष के प्रथम माह में सभी ग्रहों का परिवर्तन होने वाला है। राहु, केतु, गुरु, शनि सभी ग्रह परिवर्तन करेंगे। 13 अप्रेल को कुंभ राशि से मीन में प्रवेश करेंगे। राहु 12 अप्रेल को सुबह वृषभ से मेष राशि में गोचर करेंगे। 29 अप्रेल को शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनिवार को त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि पर चंद्रमा धनु राशि के साथ ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में होगा।
नो दिनों में होगी माता के नो रुपों की आराधना
चैत्र नवरात्रि 9 दिनों की इस बार की 2 से शुरू होकर 11 अप्रेल तक रहेगी। 11 अप्रेल को समाप्त होगी। इन पूरे 9 दिनों में मां के 9 रूपों की आराधना होगी। शास्त्रों में 9 दिनों की नवरात्रि को बहुत शुभ माना गया है। इस बार मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी। घर में नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इस बार नवरात्रि घटस्थापना का मुहूर्त 2 अप्रेल को सुबह 6.10 मिनट से 8.29 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना प्रतिपदा यानी नवरात्रि के पहले दिन देवी शक्ति की पूजा के साथ की जाती है। नवसंवत्सर के राजा शनि होंगे और मंत्री गुरुदेव बृहस्पति होंगे। जिस वार को नवसंवत्सर का आरंभ होता है, उस वार का अधिपति ग्रह वर्ष का राजा कहलाता है।