पाट चौड़ा, हो रहा पानी चोरी
कालाभाटा बांध का पाट चौड़ा है। पर यहां भी पानी की चोरी, वाष्पीकरण से पानी कम हो रहा है। मई जून में तो वाष्पीकरण ही दर डेढ़ से दो इंच प्रतिदिन की हो जाएगी। शहर को कुए बावडिय़ों व टयूबवेल के माध्यम से करीब चार लाख गैलन पानी भी नपा दे रही है। कुल मिलाकर २८ लाख गैलन पानी शहर को प्रतिदिन दिया जा रहा है। यह पानी मानक से लगभग आधा है।
एक दिन छोडक़र शहर को मिल रहा पानी
नगर पालिका वर्तमान में एक दिन में केवल आधे शहर को ही पानी दे पा रही है। अर्थात एक दिन छोडक़र लोगों को पानी मिल रहा है। ग्रीष्म ऋतु में पानी की खपत वर्तमान से दो गुना हो जाएगी। ऐसे में दिया जा रहा २८ लाख गैलन पानी भी कम पड़ेगा। यही वजह है कि विशेषज्ञ कह रहे है कि मई-जून में शहर को जल संकट का सामना करना पड़ेगा। नगर पालिका के अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि भी इस बात को स्वीकार रहे है कि वर्तमान परिपेक्ष्य को देखते हुए १५ मई के बाद जल संकट बढ़ेगा। गत वर्ष की अपेक्षा पानी कम होना और दो से ढाई लाख गैलन पानी प्रतिदिन ज्यादा देने से भी काला भाटा बांध का पानी तेजी से कम हो रहा है। अब केवल जल प्रबंधन से ही जून अंत तक लोगों को पानी दिया जा सकेगा।
हेडपंप और टूयबवेल पर निर्भर रहेंगे लोग
शहर की कई बस्तियों में मई-जून में पानी की बढ़ती मांग के चलते शहर के करीब चार सौ हेडपंप और २५ टूयबवेल पर भी निर्भर होना पड़ेगा। अविकसित कॉलोनियां अभी छेाटी-छोटी कुईयों से भी पानी ले रही थी। अब इन कुईयों का पानी या तो कम हो गया या वे सूखने लगी है। ऐसे में ४३ कॉलोनियां का निर्भरता अब कालाभाटा बांध पर होगी।
इनका कहना…
जलकल समिति के सभापति पुलकित पटवा ने कहा कि यह बात सही है कि गत वर्ष की अपेक्षा जल स्त्रोतों में पानी कम है। गत वर्ष की अपेक्षा दो से ढाई लाख गैलन पानी अधिक दिया जा रहा है। इसके बाद भी बेहतर जल प्रबंधन कर शहर को जून अंत तक पानी पिलाने का प्रयास होगा। जून माह में जल संकट हो सकता है।