सिंधिया ने कहा कि अभिषेक किसानों के हकों की लड़ाई लड़ रहा था। किसानों की जायज मांग सरकार के समक्ष रख रहा था। और जवाब में उस अभिषेक को शिवराज सिंह की सरकार ने छाती पर गोली दिलवाई। मैं समझ भी नहीं सकता हूं कि किसानों के परिजन जो आज हमारे साथ खड़े है। पिछले एक साल मेंं इन पर क्या बीती है। मुख्यमंत्री आकर जान पर बोली लगा देते है एक करोड़ रूपए की। क्या एक करोड़ रूपया अभिषेक को वापस ला देगा। क्या एक करोड़ रूपया पूनमचंद को वापस ले आएगा। हद तो तब हो गई जब किसानों के परिजनों ने मिलकर कहा हम मूर्ति स्थापित करना चाहते है। लेकिन सरकार ने जमीन नहीं दी। इन्होंने कहा हम अपनी जमीन-अपने खेत पर मूर्ति स्थापित करना चाहते है तो शिवराज सरकार के कलेक्टर, एसडीएम और भाजपा के नेताओं ने इनको धमकाया कि अगर मूर्ति लगाई तो आपका क्या हश्र होगा। उसी समय मैंने सारे साथियों को कह दिया था कि चट्टान की तरह इन परिजनों के साथ खड़े रहना। उनको न्याय दिलाकर ही दम लेगें।
सिंधिया ने कहा कि जैसे ही खेत में बीज बोया जाता है। बीज को बोने के बाद खाद पानी संरक्षण किसान देता है। वैसे ही हर परिवार के माता पिता अपने आने वाली पीढ़ी का केवल पालन पोषण नहीं और उस परिवार का आने वाला भविष्य है चाहे युवा हो या युवती हो, वह आने वाला भविष्य उस परिवार का ह़्दय का टूकड़ा होता है। मैं स्वयं एक पिता हूं। जैसे अलका जी दिनेश जी का होनहार बच्चा था। वैसे आपके और हमारे घर में हमारे बच्चे के तमाम सपने होते है। इस नौजवान अभिषेक का भी एक सपना था। उसने 17 वर्ष की कम उम्र में ठान लिया था कि अपनी जिंदगी उस संकल्प के साथ बढ़ाएगा। उसके मन के अरमान थे कि आर्मी में जाकर दुश्मनों का सामना करेगा। उसके माता और पिता ने अपने दिल मेंं इबारत लिखी थी। पढ़ाया सीखाया और अच्छे सिंद्धात उसमें धारण करवाए। इस नौजवान की अभिलाषा थी कि देश के दुश्मनों का सामना करें। देश के दुश्मनों को अपने गोली से छिन्न भिन्न करें। उस आशा और अभिलाषा को इस भाजपा की सरकार ने गोली से छिन्न बिन्न कर दिया।
सिंधिया परिवार का पारिवारिक रिश्ता
सत्याग्रह पर तीन दिन भोपाल पर बैठे थे। आलीशान पांडाल नहीं था, यहां जैसा ही पांडाल था। इस क्षेत्र के लोगों और इन परिजनों से मेरा राजनीतिक रिश्ता नहीं है। सिंधिया परिवार के साथ मंदसौर-नीमच और मालवा का पारिवारिक रिश्ता है। छह जून २०१८ की सभा में अभिषेक के माता पिता से मुलाकात हुई थी। उस दिन मूर्ति अनावरण की बात मुझसे कही थी। मैंने उस दिन अभिषेक के माता पिता से कहा था आप जिस दिन तय करोगें उस दिन ज्यौतिरादित्य ङ्क्षसधिया आपके साथ खड़ा रहेगा। सिंधिया परिवार की सोच और विचारधारा है कि जान जाए पर वचन ना जाए। इस दौरान पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, राजवद्र्धन ङ्क्षसह, विधायक हरदीप ङ्क्षसह डंग, कंाग्रेस जिलाध्यक्ष प्रकाश रातडिय़ा, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष परशुराम सिसौदिया, श्यामलाल जोकचंद्र, केके ङ्क्षसह सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। बरखेड़ा पंथ के बाद सिंधिया का स्वागत पिपलियामंडी चौराहा, बही चौपाटी, बोतलगंज में किया गया।