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सांप के विष में मौत भी है और उपचार भी- किसने कहीं यह बात

locationमंदसौरPublished: Sep 01, 2018 01:44:24 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

सांप के विष में मौत भी है और उपचार भी- किसने कहीं यह बात
 

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सांप के विष में मौत भी है और उपचार भी- किसने कहीं यह बात

मंदसौर.
प्राणियों की रक्षा के लिए भी विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि भारत वर्ष में लगभग 70 हजार व्यक्ति प्रतिवर्ष सांपों के काटने से काल को कवलित हो जाते है। यह बात महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं प्रसिद्ध प्राणी वैज्ञानिक डॉ. केके शर्मा ने कहीं। वे शहर के पीजी कॉलेज में नवाचार की श्रृंखला में प्रारंभ किए गए विशिष्ट व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सांपों के जहर से बचने के लिए आवश्यक है कि सांपों और सांपों की प्रजातियों को बचाया जाएं। क्योंकि सांपों के काटने पर उसका प्रतिरोध टीका सांप के विष से ही निर्मित होता है।

शर्मा ने कहा कि वैश्वीकरण और उदारीकरण के इस दौर में विज्ञान और समाज को प्राथमिकता से जोड़ऩा होगा। विज्ञान के क्षेत्र में दो बड़ी क्रांतियां हुई है। पहली 1953 में जब डीएनए के ऊपर वैज्ञानिकों ने अत्यंत महत्वपूर्ण शोध कार्यो को पूर्ण किया। प्राणी विज्ञान के क्षेत्र में दूसरी क्रांति 2003 में हुई जिसमें ह्यूमन जिनोम से संबंधित महत्वपूर्ण खोज का निर्णायक शोध कार्य सम्पन्न हुआ। इन दोनों ही खोज ने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भी एक नवीन मार्ग प्रशस्त किया है। डॉ. शर्मा ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में अपने लक्ष्यों को तय करें। रोजगार के अवसर प्राप्त करने के क्षेत्र में विज्ञान में अपार संभावनाएं छिपी हुई है। आवश्यकता इस बात की है कि हम छोटे-छोटे शोध कार्यो को हाथ में लें और उन्हें सामाजिक हित से जोड़े। उन्होंने जैव विविधता विषय पर कहा कि हमें एक ज्ञान विज्ञान आधारित समाज का निर्माण करना होगा जो तकनीकी के आधुनिकीकरण पर टिका हुआ होना चाहिए। महाविद्यालय की ओर से स्वागत उद्बोधन प्राचार्य डॉ. रविन्द्रकुमार सोहोनी ने दिया। अतिथि परिचय प्राणिकी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. चन्द्रशीला गुप्ता ने दिया। आभार डॉ. प्रेरणा मित्रा ने माना।

भारतवर्ष में ही है अनेकता में एकता

दलोदा के शासकीय नवीन महाविद्यालय में व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ के अंतर्गत ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पर व्याख्यान का आयोजन हुआ। इसके अंतर्गत पीजी कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. हेमा यादव ने कहा कि अनेकता में एकता जो कि भारत वर्ष में देखने को मिलती है, इसी वजह से भारत श्रेष्ठ भारत है। विभिन्न मौसम वाले इस देश में जैव विविधता देखने को मिलती है यहां के राज्यों की भाषा अलग- अलग है। राष्ट्रीयता के ऐसे कई कारण है जो विश्व में सिर्फ भारत में देखने को मिलते हैं। इसके चलते एक भारत श्रेष्ठ भारत का नजर आता है। आभार प्रभारी प्राचार्य डॉ प्रेरणा मित्रा ने माना।

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