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वर्ष की 4 महारात्रियो में से एक है कृष्ण जन्माष्टमी, कहलाती है महासिद्धि रात्रि

locationमंदसौरPublished: Sep 01, 2018 01:00:16 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

वर्ष की 4 महारात्रियो में से एक है कृष्ण जन्माष्टमी, कहलाती है महासिद्धि रात्रि

patrika

वर्ष की 4 महारात्रियो में से एक है कृष्ण जन्माष्टमी, कहलाती है महासिद्धि रात्रि

मंदसौर.
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी 2018 में किस दिन मनाया जाएगा इसको लेकर इस साल फिर से पेंच फंसा है, क्योंकि जन्माष्टमी का व्रत किस दिन करना उचित होगा। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहे है कि जन्माष्टमी का व्रत किस दिन करना शास्त्रों के अनुकूल होगा। पंडित के अनुसार श्रीमद्भागवत् पुराण, श्रीभविष्य पुराण, अग्नि, विष्णु, धर्मसिन्धु, निर्णयाय सिन्धु सहित सभी धर्मग्रंथों में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं भविष्यपुराण में लिखा है। सिंहराशिगते सूर्ये गगने जलदाकुले। मासि भाद्रपदे अष्टम्यां कृष्णपक्षे अर्धरात्रिके। वृषराशि स्थिते चन्द्रे, नक्षत्रे रोहिणी युते।। उल्लेखनीय है कि योगेश्वर कृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे वृषभ लग्न में ही हुआ था। तिथि (अष्टमी) नक्षत्र (रोहिणी) लग्न (वृषभ) का अद्भुत संयोग होने से यह (श्रीकृष्ण जयंती) योग बन गया है। निशिता पूजा का समय रात्रि 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। मध्यरात्रि समय 12 बजकर 6 विशेष महापूजा समय रहेगा। यह पावन त्यौहार रविवार को अति शुभ व महत्वपूर्ण हो गया है। चार महारात्रियों में से एक है कृष्ण जमाष्टमी, जो महासिद्धि रात्रि होती है। वर्ष-२०१५ के बाद लगातार तीन वर्षो से स्मार्त और वैष्णव की जन्माष्टमी अलग-अलग ही मनाई जा रही है।


३ को अमृतसिद्धी योग का संयोग
ज्योतिर्विद पंडित सोमेश्वर जोशी ने बताया कि सौभाग्यवश, इस वर्ष जन्माष्टमी के व्रतपर्व पर, मास (भाद्रपद) पक्ष (कृष्ण) तिथि (अष्टमी) नक्षत्र (रोहिणी) लग्न (वृषभ) योग 3 को अमृतसिद्धि योग का अद्भुत संयोग है। भारतीय स्टैंडर्ड समयानुसार रविवार रात्रि को 8 बजकर 46 मिनट से लेकर अगले दिन सोमवार को सायं 7 बजकर 19 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। रविवार को ही रोहिणी नक्षत्र रात्रि 8 बजकर 48 मिनट से लेकर सोमवार को रात्रि 8 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। इसमे रविवार को रात्रि 10 बजकर 36 मिनट से लेकर रात्रि 12 बजकर 35 मिनट तक वृषभ लग्न का समावेश रहेगा। गृहस्थों को रविवार ही व्रत ग्रहण करना चाहिए। स्मार्त अनुयायी वे है जो स्मृतियों ओर अर्श वाणी को मानते है उनमे विश्वास व श्रद्धा रखते है और ***** धर्मग्रन्थ को मानते हो, ये वे भी हो सकते है जो विष्णु की पूजा करते हो जब तक जिन्होंने किसी विशेष की दीक्षा प्राप्त नहीं की हो वे स्मार्त है। धर्मसिन्धु और निर्णयसिन्धु में, जन्माष्टमी के दिन को निर्धारित करने के लिए स्पष्ट नियम हैं। कुल मिलकर स्मार्त जन्माष्टमी 2 सितम्बर को है और वैष्णव निम्बार्क की 3 सितम्बर को मनाई जाएगी। इसी कारण 3 सितम्बर को शासकीय अवकाश घोषित किया गया है।
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