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सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का कृषि उपज मंडी में नहीं हो रहा पालन

locationमंदसौरPublished: Sep 16, 2018 02:43:33 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का कृषि उपज मंडी में नहीं हो रहा पालन

patrika

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का कृषि उपज मंडी में नहीं हो रहा पालन

मंदसौर.
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की कृषि उपज मंडियों में काम करने वाले हम्मालों को राहत देते हुए कम वजन उठवाने की व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए थे। लेकिन शहर की मंडी में अब तक इस पर अमल नहीं हो पाया है। 1 अप्रैल से यह व्यवस्था लागू होना थी पर अब तक मंडी में सर्वोच्च न्यायालय के इस फरमान पर अमल नहीं हुआ है और कब तक होगा। इस पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। कोर्ट ने हम्मालों से ५० किलो वजन उठवाना तय किया है, परंतु यहां की मंडी में 70 से लेकर 80 किलो वजन तक की बोरियां हम्माल उठा रहे है। जो सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना है। बावजूद इस पर कोई गंभीरता नहीं दिखा रहा है।
हम्मालों की सेहत, स्वास्थ्य पर कोर्ट ने लिया संज्ञान
अधिक वजन उठाने के कारण हम्मालों की सेहत और स्वास्थ्य पर पडऩे वाले विपरीत प्रभाव के चलते मंडी में हम्माली कर परिवार पाल रहे लोगों की समस्याएं सामने आने के बाद इस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया और ५० किलो वजन उठाने की नई व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए। जो १ अप्रैल से मंडियों में लागू होना थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरुप नई व्यवस्था मंडी के जवाबदार लागू नहीं कर रहे है। मंडी से जुड़े जवाबदारों की मनमानी कोर्ट के निर्देशों पर भारी पड़ रही है।


लागू होने में यह आ रही तकनीकि दिक्कत
नई व्यवस्था लागू करने में कई तकनीकि समस्याएं आड़े आ रही है। इनमें बड़ी समस्या बारदान की है। अब अधिक वजन के कारण कम बारदान में अधिक उपज भरी जा रही है। ५० किलो की व्यवस्था लागू होने से ठीक दोगुना बारदान की खपत होना शुरु होगी। जो अतिरिक्त भार होगा। इसके अलावा हम्मालों को प्रति नग से पैसा दिए जाने की व्यवस्था है। कम वजन होने के बाद अधिक नग में उपज भराएगी तो हम्मालों को अधिक हम्माली देना पड़ेगी। इसका भार सीधे-सीधे किसानों को पड़ेगा। कई बार उपज को कई दिनों तक वेअर हाऊस में रखना पड़ता है। इसमें भी अधिक वारदान होने के कारण प्रति बारदान का किराया भुगतना होगा। जो व्यापारी हो या किसान। उन्हें अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा। इस तरह के तकनीकि पहलुओं के कारण इस व्यवस्था को लागू करने में जवाबदार रुचि नहीं दिखा रहे है।

 

व्यापारियों को नहीं कोई दिक्कत
यह व्यवस्था प्रदेश के अन्य शहरों की मंडी में लागू की गई थी, लेकिन यह चल नहीं पाई। इसमें व्यापारियों को कोई परेशानी नहीं, लेकिन हम्माली का दाम किसानों को वहन करना होगा। ऐसे में किसानों को अतिरिक्त भार के कारण यह कही पर भी लागू नहीं हुई है।

-राजेश नाहर,अध्यक्ष, दशपुर मंडी व्यापारी संघ


मंडी को हमने यह व्यवस्था जल्द लागू करने के लिए यूनियन के माध्यम से लिखित में दिया था। तब यह आश्वासन दिया था कि प्रदेश में यह व्यवस्था जहां भी लागू होगी तो यहां भी लागू कर देंगे। अन्य मंडियों में लागू होगी तो फिर यहां भी करने की मांग करेंगे।

-दिलीप ग्वाला, अध्यक्ष, दशपुर हम्माल यूनियन


कार्रवाई जारी है…
कार्रवाई जारी है। यही मंडी नहीं प्रदेश व प्रदेश की कई मंडियों में इस पर अभी मंथन चल रहा है। इसमें कई तकनीकि समस्या भी है। इसी कारण अब तक यह अमल नहीं हो पाया है। सभी पक्षों से बात कर इसे जल्द शुरु करवाने की कोशिश करेंगे।

-ओपी शर्मा, सचिव, कृषि उपज मंडी


उपयुक्त समय देखकर करेंगे शुरु
इस मामले में सभी पक्षों से चर्चा की गई है। व्यापारियों से लेकर मंडी समिति भी इस निर्णय पर तैयार है। जल्द ही इसका उपयुक्त समय देखकर इसे मंडी में लागू कर दिया जाएगा।
-रमादेवी गुर्जर, अध्यक्ष, कृषि उपज मंडी

 

फैक्ट फाईल-
वर्तमान की स्थिति
हम्मालों की संख्या – ६००
प्रतिदिन उठती है बोरियां – २० हजार से अधिक
लहसुन-प्याज में – ५० किलो रहता है वजन
धनिया में – ३५ किलो रहता है वजन
अलसी मेंं – ६० किलो रहता है वजन
रावा में – ७५ किलो रहता है वजन
– सोयाबीन, गेहूं, चना, मैथी, मक्का, उड़़द सहित अन्य में ८० किलो का रहता है वजन
– किसानों को दी जाने वाली हम्माली दर- प्रति नग साढ़े सात से लेकर ९ रुपए तक
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