हिन्दी से हुआ है संस्कार व संस्कृति का सृजन
कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि हिन्दी के प्रति केवल भावनात्मक विलाप करने से कुछ नहीं होगा, हिन्दी को रोजगार की भाषा के साथ समाज उपयोगी भाषा भी बनाना है। हम अंग्रेजी के दुश्मन नहीं है किन्तु हमारी मातृभाषा हिन्दी की जगह अंग्रेजी ले ले यह तो कतई मंजूर नहीं है। हिन्दी को लेकर कुछ समस्याएं हम स्वयं ही बुन रहे हैं, मातृभाषा जो देश की भी भाषा है उसे लेकर किसी तरह का विरोधाभास नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा का मूल उसकी लिपी होती है। हिन्दी की जड़ देवनागरी लिपी है। हिन्दी की समृद्ध परम्परा रही है, हिन्दी को विश्व की सबसे सम्पन्न भाषा माना जाता है, संस्कार व संस्कृति का सृजन हिन्दी से हुआ है। हिन्दी में पूरी भारतीयता समाई हुई है। बैंक कर्मी नेता महेश मिश्रा ने भी संबोधित किया। मप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संरक्षकगण सौभाग्यमल जैन, डॉ. ज्ञानचन्द खिमेसरा, नरेन्द्रसिंह सिपानी, डॉ. घनश्याम बटवाल भी उपस्थित थे।
यह भी रहे उपस्थित
समारोह में न्यायाधीश रूपेश कुमार गुप्ता, अनिरूद्ध जैन, एसडीएम शिवलाल शाक्य, सीएसपी राकेश मोहन शुक्ला, सीएमओ सविता प्रधान, वायडी नगर थाना प्रभारी विनोद कुमार कुशवाह तथा विक्रम विद्यार्थी, राव विजयसिंह, डॉ. देवेन्द्र पुराणिक, रूपनारायण जोशी, आलोक पंजाबी, बालूसिंह सिसौदिया उपस्थित थे। संगोष्ठी में युवा प्रतिभा दीक्षा नागोरे, दीपशिखा नागराज, धु्रव जैन, वरिष्ठ रचनाकार लाल बहादुर श्रीवास्तव व श्रीमती आरती तिवारी ने काव्य पाठ किया। संचालन ब्रजेश जोशी ने किया। आभार जयेश नागर ने माना।
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