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एनक्यूएएस के मानकों के विपरीत जिला अस्पताल में 6 प्रतिशत अधिक हो रही सर्जरी

locationमंदसौरPublished: Sep 20, 2018 12:24:20 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

एनक्यूएएस के मानकों के विपरीत जिला अस्पताल में 6 प्रतिशत अधिक हो रही सर्जरी

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एनक्यूएएस के मानकों के विपरीत जिला अस्पताल में 6 प्रतिशत अधिक हो रही सर्जरी

मंदसौर.
जिला अस्पताल में नेशनल क्वालिटी एसोरेंश स्टेंडर्ड (एनक्यूएएस) की स्टेट की टीम ने दो दिवसीय निरीक्षण में बुधवार को सुबह से लेकर शाम तक निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद संबंधित टीम के अधिकारी भोपाल रवाना हुए। वहां पर तीन दिन के भीतर अधिकारियोंं को जिला अस्पताल की रिपोर्ट तैयार करना है। उसके बाद स्टेट के अधिकारियों को यह रिपोर्ट सबमिट की जाएगी। अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में प्रदेशभर के जिला अस्पताल के इसके तहत नंबर जारी किए जाएंगे। इसमें ७० फीसदी अंक लाना अतिअनिवार्य है। जिस जिले के 70 फीसदी अंक होगें उसको ही एनक्यूएएस का सॢटफिकेट दिया जाएगा।


एनक्यूएएस के मानक से अधिक सर्जरी
निरीक्षणकर्ता एक्सर्टनल एसेसर सय्यद फरीद उद्दीन और शरवाले वाले ने मेटरनिटी विंग को निरीक्षण दूसरे दिन भी किया। यहां पर उन्होंने माह में कितने प्रसव हो रहे है। कितनी सर्जरी हो रही है। इसकी पूरी जानकारी ली। जिसमें सामने आया कि जिला अस्पताल में करीब ३१ प्रतिशत सर्जरी हो रही है। जबकि एनक्यूएएस के मानक के अनुसार २० से २५ फीसदी ही सर्जरी होना चाहिए। तय मानक से अधिक सर्जरी होने मैदानी अमले पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। हालांकि जिला अस्पताल प्रबंधन ने ज्यादा सर्जरी को लेकर यह तर्क दिया कि राजस्थान से भी कई महिलाएं उपचार के लिए आती है।


हाईजिन कंट्रोल में डाक्यमटेंशन में कमी, तो कीचन में खाई दाल रोटी
मेटरनिटी विंग और लेबर में निरीक्षण के दौरान हाईजिन कंट्रोल के अंतर्गत टीम को डायक्यमटेंशन में कमी सामने आई। बायामेडिकल वेस्ट को लेकर उन्होंने व्यवस्था देखी जिसमें टीम को बेहतर व्यवस्था दिखी और मौजूदा स्टाफ ने भी टीम के प्रश्रों को सही उत्तर दिया। इसके अलावा कीचन में टीम ने पहुंचकर दाल, रोटी, चावल और सब्जी खाई और गुणवत्ता देखी। वहीं मेटरनिटी विंग के कई वार्डों में पानी टपकने की भी कमी सामने आई है।


गाइडलाइन के अनुरुप नहीं रिकार्ड
टीम ने निरीक्षण के दौरान देखा कि इन दोनों यूनिटों में एनक्यूएएस के मानक के अनुरुप रिकार्ड नहंी रखे जा रहे है। जिसको लेकर दिशा निर्देश दिए। वहीं लेबर रूम और मेटरनिटी विंग में दवाओं की उपलब्धता बेहतर पाई गई। इसके अलावा टूलस का उपयोग सहित अन्य व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया।


शून्य से दो नंबर तक मिलते है निरीक्षण में
टीम के सदस्यों ने बताया कि एनक्यूएएस में कायाकल्प की तरह की नंबरिंग की जाती है। इसमेंं यदि मानकों के अनुरुप कार्य नहंी है तो उसको शून्य नंबर दिया जाता है। और मानकों के अनुरुप ५० फीसदी तक कार्य है तो १ नंबर दिया जाता है और ७० फीसदी या उससे बेहतर कार्य है तो उसको २ नंबर दिया जाता है। एनक्यूएएस का सर्टिफिकेट ७० या उससे अधिक प्रतिशत पर दिया जाता है। जिस यूनिट को दिया जाता है मतलब वह यूनिट पूरे मानक अनुसार संचालित हो रही है।


इनका कहना…
मेटरनिटी विंग, लेबर रूम का निरीक्षण किया है। सर्जरी 30 प्रतिशत से अधिक हो रही है जबकि मानक 20 से 25 प्रतिशत है। हाईजिन कंट्रोल में डाक्यमटेशन की कमी सहित अन्य कमिया सामने आई है। अन्य व्यवस्थाएं बेहतर है।
सय्यद फरीद उद्दीन,एक्सर्टनल एसेसर

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