बोलिया में 8 मंदिरो से शाम 6 बजे बैवाणो की शोभा यात्रा जयश्री राम के जयकारों के साथ प्रारंभ हुई। जो शाम 7 बजे नदी कंठाली तट पर पहुंची। यहां बैवाणो को नदी की परिक्रमा करवाई गई। भैंसोदा में ग्राम के ७ मंदिरो के देव विमान में भगवान को बिठाकर सामूहिक चल समारोह ढोल- ढमाको एवं भजन कीर्तन के साथ निकला जो ग्राम के विभिन्न मार्गो से होते हुए शाम करीब 6 .30 बजे रूपा नदी तट पहुंचा। जहां देव विमान को नदी में झूलाकर स्नान करवाकर विधि- विधान से पूजा अर्चना कर सामूहिक महाआरती की गई।
भानपुरा नगर में स्थित विभिन्न मंदिरों से देव विमानों का चल समारोह प्रारंभ होकर जगदीश मंदिर तक पहुंचे। यहां से सभी देव विमान ढोल धमाकों एवं अखाड़ों के साथ रेवा नदी शनि मंदिर के समीप स्थित राजघाट पर सभी 20 देव विमान पहुंचे। यह रेवा नदी के जल में सभी देव विमानों को झुलाया गया एवं देव विमानों में विराजित भगवान का जलाभिषेक किया गया एवं आरती की गई। इंद्रगढ़ मारुति आश्रम महंत प्रकाश नाथ व अखाड़ों के उस्तादों एवं पहलवानों का सम्मान किया गया। शाम को सभी देव विमानों की महाआरती की गई।
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