मंदसौर

भगवान ने किया विहार, बजे घंटे- घडिय़ाल, झुलाया झूला

भगवान ने किया विहार, बजे घंटे- घडिय़ाल, झुलाया झूला

मंदसौरSep 21, 2018 / 03:12 pm

harinath dwivedi

भगवान ने किया विहार, बजे घंटे- घडिय़ाल, झुलाया झूला

मंदसौर.
शहर सहित जिले भर में गुरुवार को जलझूलनी एकादशी (डोल ग्यारस) आस्था व उल्लास से मनाई गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजनों ने मंदिरों से गाजे-बाजे व ढोल-ढमाकों के साथ डोल (विमान) निकाले। जुलूस में घंटे-घडिय़ालों के बीच भगवान के जयकारे गूंज रहे थे। फूलों व अन्य सामग्रियों से सजे डोल जलस्त्रोतों पर पहुंचे। यहां भगवान को स्नान कराकर पुन: मंदिरों में लाए गए। मंदिरों में आरती कर भगवान को विराजित किया गया। बाद में प्रसादी वितरित की गई। भगवान को झूले में झुलाया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में धर्मालुजन शामिल हुए। शहर के विभिन्न मंदिरों से समाजजनों ने शाम को डोल के साथ चल समारोह निकला। ढोल-ढमाकों के साथ चल समारोह शहर के प्रमुख मार्गो से होकर निकला। इसमें कई क्षेत्रों के मंदिरो के डोल शामिल थे। इस अवसर पर धर्मालुजन भजन-कीर्तन करते चल रहे थे। चल समारोह प्रमुख मार्गो से होता हुआ शिवना नदी तट पहुंचा। यहां भगवान को स्नान कराया गया। इसके बाद चल समारोह पुन: मंदिरों में पहुंचा। यहां आरती व प्रसादी के बाद भगवान को पुन: विराजित किया गया।

ग्राम मुन्देड़ी व गुड़भेली बड़ी में ग्राम के मुख्य मार्ग पर होते हुए अंबे माता कुए के पास पहुंचे, यहां भगवान का जलाभिषेक किया गया। ग्राम पिण्डा में डोल ग्यारस पर भगवान को नगर भ्रमण कराया गया। ग्राम लिम्बावास सहित बासखेडी, बरूजना, पिरगुराडिया, साबुखेडी, झार्डा, गोपालपूरा, बुढा के क्षेत्र में ढोल ग्यारस पर शाम चार बजे ढोल ढमाको के साथ कृष्ण भगवान को वेवाड़ मे बिठाकर नगर के बाहर भगजी कुई तालाब पर पहुंचे। यहां भगवान को स्नान करवाया गया। बाद में महाआरती कर प्रसादी वितरण की गई। ग्राम तितरोद में ढोल ढमाकों के साथ पांच मंदिरों से डोल निकले। संजीत में चारभुजा मित्रमंडल के तत्वावधान में दोपहर बाद चारभुजानाथ मंदिर से चल समारोह ग्राम के विभिन्न मार्गो से निकला। जय बालाजी गु्रप द्वारा अखाड़ा प्रस्तुति दी गई। तुरकिया में चारभुजा व राधकृष्ण मंदिर से भगवान के बेवाण निकले। जो गांव के मुख्य मार्ग से होते हुए गंगा माता के कुएं पर पहुंचें। ग्राम बर्डिया अमरा में चार मंदिरों की चार पालकियों की यात्रा बड़े तालाब पर पहुंची। ग्राम कचनारा में देवविमान रावला मंदिर पर एकत्रित हुए। यहां से सभी देवविमान महादेवजी स्थित बावड़ी पर पहुंचे। गांव टिडवास, हिंगोरिया बडा, रायसिग पिपलिया, बरखेडा डांगी, हाथी बोलिया और काचरिया कदमाला में बेवाण चल समारोह का समापन चारभुजा मंदिर पर हुआ। सीतामऊ मे वैवाण चल समारोह राजवाड़ा से प्रारंभ होकर तालाब चौक पहुंचा। ग्राम बिल्लोद में चारभुजा नाथ मन्दिर व राधाकृष्ण मन्दिर से बेवाण गांव के मुख्य मार्गो से होते हुए श्री देवनारायण मन्दिर पहुंचे। नगरी में बेवाणों के साथ भजनों की धुन पर कलाकारों ने नृत्य किया। शासकीय उमावि परिसर में सांय 6 .15 बजे भगवान की महाआरती कर प्रसादी वितरण हुआ। ग्राम लूनाहेड़ा में चारभुजानाथ व राधाकृष्ण मन्दिर से भगवान के बेवाण निकाले गए। ग्राम मुन्देड़ी व गुड़भेली बड़ी मेंभी भगवान के बेवाण निकाले गए। चंदवासा में सभी मंदिरो से बेवाण ग्राम के प्रमुख मार्गो से होकर निकले। सभी बेवाण तलाई पर पहुंचे। यहां भगवान की पूजा- अर्चना कर महाआरती की गई। ग्राम मगराना में भी डोल ग्यारस पर चल समारोह निकला। वहीं शाम को बड़े गणपति महाराज की महाआरती के बाद शिवनारायण पाटीदार ने प्रसादी आयोजन भी किया। बहीपाश्र्वनाथ में चारों मंदिर राम जानकी मंदिर, चारभुजा मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, चौराहे का मंदिर से बैंड बाजे ढोल ढमाकों के साथ चल समारोह गांव के तालाब पर जाकर संपन्न हुआ। ग्राम आकोदड़ा में रामजानकी मंदिर की झांकिया निकाली गई। झांकिया गांव के प्रमुख मार्गों से होती हुई निकली।

नारायणगढ़ के विभिन्न मंदिरों से भगवान को विराजमान कर वेवाण निकाले गए। नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए भगवान के वेवाण शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहुंचे। दलौदा में डोल ग्यारस पर झूला गोपाल मंदिर से प्रारंभ होकर पहुंचा। यहां से गोपाल मंदिर पहुंचा, यहां पूजा अर्चना की गई। बजरंग व्यायाम शाला के कलाकारों ने प्रदर्शन किया।

गरोठ नगर में डोल ग्यारस पर भव्य चल समारोह निकाला गया। नगर के सभी मंदिरों के देव विमान सजकर दोपहर में पुराने बसस्टैंड पर एकत्रित हुए जहां से चल समारोह प्रारंभ हुआ जो नगर के विभिन्न मार्गो से होता हुआ स्टेशन रोड स्थित अंजनी नदी पर पहुंचा। यहां पर महाआरती कर प्रसाद वितरण किया गया। अंजनी नदी पर महाआरती के बाद सर्वश्रेष्ठ देवविमान सजाने वाले मंदिर के पुजारियों को भी पुरस्कृत किया गया। गरोठ में पुलिस द्वारा चल समारोह में सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से पहली बार ड्रोन कैमरे से नजर रखी गई। ग्राम बरखेड़ा गंगासा में दोपहर 2 बजे गांव के चारों मुख्य मंदिरों के बैवाण गांव के बड़े तालाब की पाल पर पहुंची। जहां पर महाआरती के पश्चात प्रसाद वितरण कर समापन हुआ। शामगढ़ में नगर के सभी बड़े-बड़े मंदिरों से ट्रैक्टरों पर झांकियां बनाकर एवं सजा कर डिम्पल चौराहे पर एकत्रित हुए। कई मंदिरों के देव स्वरूप भगवान के वेवानसंयुक्त रूप से एक शोभायात्रा के रूप में ग्राम भ्रमण पर निकले। सुवासरा रोड विद्युत ग्रिड के पास स्थित कृष्ण तलाई पर वेवान में विराजित भगवान को स्नान कराया गया।

बोलिया में 8 मंदिरो से शाम 6 बजे बैवाणो की शोभा यात्रा जयश्री राम के जयकारों के साथ प्रारंभ हुई। जो शाम 7 बजे नदी कंठाली तट पर पहुंची। यहां बैवाणो को नदी की परिक्रमा करवाई गई। भैंसोदा में ग्राम के ७ मंदिरो के देव विमान में भगवान को बिठाकर सामूहिक चल समारोह ढोल- ढमाको एवं भजन कीर्तन के साथ निकला जो ग्राम के विभिन्न मार्गो से होते हुए शाम करीब 6 .30 बजे रूपा नदी तट पहुंचा। जहां देव विमान को नदी में झूलाकर स्नान करवाकर विधि- विधान से पूजा अर्चना कर सामूहिक महाआरती की गई।

भानपुरा नगर में स्थित विभिन्न मंदिरों से देव विमानों का चल समारोह प्रारंभ होकर जगदीश मंदिर तक पहुंचे। यहां से सभी देव विमान ढोल धमाकों एवं अखाड़ों के साथ रेवा नदी शनि मंदिर के समीप स्थित राजघाट पर सभी 20 देव विमान पहुंचे। यह रेवा नदी के जल में सभी देव विमानों को झुलाया गया एवं देव विमानों में विराजित भगवान का जलाभिषेक किया गया एवं आरती की गई। इंद्रगढ़ मारुति आश्रम महंत प्रकाश नाथ व अखाड़ों के उस्तादों एवं पहलवानों का सम्मान किया गया। शाम को सभी देव विमानों की महाआरती की गई।
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