आवक की यह रही स्थिति, लगा जाम तो पहुंची पुलिस
मक्का १ हजार, सोयाबीन १२ हजार, गेहूं १४००, लहसुन १८ हजार, प्याज ९ हजार, मैथी ६००, सरसों २५०, अलसी ५००, धनिया ३०० से लेकर अन्य जिंसों की आवक रही। जितनी आवक प्रांगण के अंदर रही, उतनी ही उपज लेकर किसान मंडी के बाहर अपनी बारी का दिनभर खडे रहकर इंतजार करते रहे। गुरुवार को सुबह के समय महु-नीमच मार्ग पर उपज लेकर पहुंचे किसानों के बेतरतीब खड़े रहने के कारण मार्ग पर जाम लग गया। हालात तो यह बन गए कि पुलिस को यहां पहुंचना पड़ा। वायडी थाने की पुलिस ने पहुंचकर जाम खुलवाया। मंडी में प्रवेश के लिए खड़े वाहनों के कारण जाम लगने से इस मार्ग से आवाजाही करने वालों को परेशान होना पड़ा।
न टोकन सिस्टम और न हीं कोई व्यवस्था
मंडी में प्रवेश के लिए प्रदेश के अन्य शहरों में व छोटी-छोटी मंडियों में टोकन सिस्टम लागू है। टोकन के आधार पर मंडी में प्रवेश दिया जाता है, लेकिन यहां यह व्यवस्था नहीं है। यहां मोनोपॉली का काकस ऐसा फैला है कि इसमें किसानों के नसीब में परेशानी और इंतजार के अलावा कुछ नसीब नहीं होता है। मंडी के बाहर लाईन में खड़े वाहनों को कब अंदर एंट्री मिलेगी यह भी उन्हें नहीं पता और न हीं प्रवेश के लिए किसी प्रकार के टोकन की व्यवस्था यहां है। किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए शहर की इस मंडी में कई दिनों तक परेशान होना पड़ता है।
प्रांगण में जगह नहीं, इंतजार में बाहर 800 से ज्यादा वाहन कतार में
दीपोत्सव के बाद जब सोमवार को मंडी खुली तो आवक बंपर थी, लेकिन अब मंडी का संचालन तीन दिनों से सुचारु होने के बाद गुरुवार को कई किसान मंडी में उपज लेकर पहुंचे। ऐसी स्थिति में प्रांगण तो खचाखच भरा रहा, लेकिन मंडी के बाहर भी ट्रैक्टर से लेकर लोडिंग वाहन में किसान कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। ८०० से अधिक वाहनों में हजारों किसान कतार में खड़े होकर मंडी में एंट्री के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे है।
मंडी प्रशासन के पास नहीं कोई प्लानिंग
मंडी में लहसुन, प्याज से लेकर सोयाबीन की बंपर आवक होती है। जिले से नहीं बल्कि पूरे प्रदेश व अन्य प्रदेशों से भी किसान यहां अपनी उपज लेकर पहुंचता है। बीच में अवकाश आने के कारण जब भी मंडी खुलती है तो यही स्थिति बनती है। हजारों किसान अंदर तो हजारों बाहर लाईन में घंटों खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करते है। यह एक दिन की नहीं बल्कि हर दिन की परेशानी है। मंडी के बाहर लाईन लगना किसी एक दिन की नहीं हर दिन की कहानी है, बावजूद मंडी प्रशासन के पास इस समस्या के लिए कोई समाधान तो ठीक प्लानिंग भी नहीं है।
नए प्रांगण के लिए देखी जगह
वर्तमान में मंडी प्रांगण २० हैक्टेयर का है जो छोटा पडऩे लगा है। हमने नए प्रांगण के लिए जग्गाखेड़ी में जगह देखी है जो १०० हैक्टेयर का है। आवक को देखते हुए मंडी प्रशासन बड़े प्रांगण की योजना पर काम रहा है। बंपर आवक के चलते ऐसी स्थिति बनती है।
-ओपी शर्मा, सचिव, कृषि उपज मंडी