गरोठ शासकीय चिकित्सालय लंबे समय से समस्याओं से जूझ रहा है इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को डॉक्टरों व अन्य सुविधाओं के अभाव में प्राथमिक उपचार के बाद सीधा रैफर किया जाता है। रैफर करने के लिए यह अस्पताल जिलेभर में मशहूर हो चुका है। गरोठ के इस अस्पताल में रोगी कल्याण समिति के एक मात्र एंबुलेंस को चलाने वाला कोई चालक नहीं है। एम्बुलेंस पर वाहन चालक का पद करीब 3 वर्षों से रिक्त पड़ा है ऐसे में मरीजों को बाहर भेजने के लिए 108 एंबुलेंस स्वयं का निजी साधन या किराए के वाहन से ही बाहर ले जाना पड़ता है।
पहले थी रोगी कल्याण समिति से व्यवस्था
रोगी कल्याण समिति द्वारा मरीजो की सुविधा के लिए खरीदी गई अस्पताल की इस एंबुलेंस पर प्रारंभ में रोगी कल्याण समिति द्वारा चालक पद पर नियुक्ति कर रखी थी परंतु 3 वर्ष से चालक पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई है जिसके कारण इस प्रकार की स्थिति निर्मित हो रही है।हालांकि अस्पताल प्रबंधन इस मामले में एंबुलेंस वाहन पर चालक नियुक्त करना ही जरूरी नहीं समझ रहा है जिससे मरीजो को इलाज मिलने में परेशान होना पड़ रहा है।
चालक की आवश्यकता नहीं
गरोठ अस्पताल में एंबुलेंस पर चालक की नियुक्ति की जाने पर रोगी कल्याण समिति पर अतिरिक्त आर्थिक पार पड़ता है जिसके कारण फिलहाल जरूरत नहीं है हालांकि रैफर मरीजों के लिए 108 एंबुलेंस उपलब्ध रहती है यदि वह नहीं होती है तो बाहर से बुलाकर चालक की व्यवस्था कर दी जाती है।
– डॉ आरपी कुकड़े बीएमओ गरोठ
कर रखी है वैकल्पिक व्यवस्था
गरोठ शासकीय चिकित्सालय में रोगी कल्याण समिति की एंबुलेंस पर शासन स्तर से ही पद रिक्त है वर्तमान में रोगी कल्याण समिति के अंतर्गत दूसरी शाखा में पदस्थ कर्मचारी को एंबुलेंस चालक के रूप में पदस्थ कर वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है।
– डॉ केएस परिहार प्रभारी शासकीय चिकित्सालय