ज्ञापन में यह मांगे
ज्ञापन में मांग की गई कि किसानों की जिस भूमि का सडक़ निर्माण के दौरान अधिग्रहण किया जाएगा वहां से 1 फीट गहराई तक की उपजाऊ मिट्टी किसान के बची हुई कृषि भूमि में डालने के लिए सडक़ कंस्ट्रक्शन के मशीनों द्वारा डलवाया जाएं। जितनी भूमि किसानों की अधिग्रहित की जा रही है उसकी 20 प्रतिशत उपजाऊ व विकसित भूमि किसान के नाम होना स्थानांतरित भू अधिकार पुस्तिका के साथ उसको मालिकाना हक प्रदान करें। प्रभावित किसान परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यता के अनुसार राज्य शासन की सम्मानजनक नौकरी जो कि प्रधानमंत्री ने मन की बात में कही थी और केंद्रीय परिवहन एवं राज्यमंत्री ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में कही थी। भूमि अधिग्रहण के दौरान कुओ का सर्वे किया गया है उनमे कई किसानों ने कुएं के अंदर आडे तथा खड़े ***** लगा रखे हैं उसका भी सर्वे लंबाई, गहराई व व्यास के आधार पर करवाया जाए। 1998 में जिस शासकीय कर्मचारी का जो वेतन था वह आज 2019 में सातवें वेतन आयोग से 12 गुना हो चुका है इस आधार पर 1998 में कृषि भूमि का जो कलेक्टर गाइडलाइन रजिस्ट्री रेट था उसका आज 20 साल बाद 12 गुना मुआवजा होना चाहिए।
ताउम्र टोल करें फ्री, पौधे लगाए जाएं
बनने वाली सडक़ पर किसान परिवार को ताउम्र टोल फ्री किया जाएं और यदि कोई किसान परिवार पेट्रोल- डीजल पंप खोलना चाहे तो प्राथमिकता के साथ सब्सिडी दी जाए। सडक़ के दूसरी साइड में छुटी हुई जमीन जो किसान के उपयोग में उचित रास्ता नहीं मिल पाने की वजह से उपयोगी नहीं रहेगी इसलिए उसका मुआवजा भी अधिग्रहित हो रही कृषि भूमि के भाव से ही दिया जाए और उस जमीन पर पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पौधे लगाए जाएं जिससे एक्सप्रेस वे की वजह से जो पेड़ पौधे नष्ट हो रहे हैं उनके क्षतिपूर्ति हो सके।
संतरे की फसल का मुआवजा इस प्रकार से दिया जाए
5 वर्ष के फलदार पौधे का 25 हजार रुपये प्रति पौधा, 4 वर्ष का 20 हजार, 3 वर्ष का 15 हजार, 2 वर्ष का 10 हजार, 1 वर्ष का 5 हजार तथा 6 माह के पौधे का 2500 प्रति पौधे के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। अधिग्रहण होने वाली कृषि भूमि की मुआवजा राशि व देने की अवधि अधिग्रहण होने से पहले तय करके बताई जाए मुआवजा स्थान विशेष को ध्यान में रख कर दिया जाए। एक्सप्रेस- वे पर जहां निकासी आवागमन स्टैंड बने वहां पर जो दुकानें बनाई जाए उसमें उस गांव के आसपास के प्रभावित किसान परिवारों को प्राथमिकता दी जावे।
मांगे पूरी न करें तो दे इच्छा मृत्यु की अनुमति
इसी प्रकार गरोठ क्षेत्र के प्रभावित 144 किसानों ने आपत्ति दर्ज करते हुए दिए ज्ञापन में बताया कि वर्तमान रजिस्ट्री दर के मान से 4 गुना अधिक मुआवजा अधिग्रहित भूमि का दिया जाए।प्रभावित किसान परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी दी जाए यदि शासन यह कार्य व मांग पूरी करने में असमर्थ है तो सभी किसानों को सामूहिक इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए।