किसने क्या पढ़ा…
मुसलसल खुल के रोना चाहते हैं, हम अपने पास होना चाहते हैं… रोशन मनीष
मैं भटकता हूं यहां इक अजनबी चेहरा लिए, मेरी तस्वीर अब तु ही बता मैं कौन हूं… शाहनवाज अंसारी
हर शख्स को अफलाक पे छाने की हवस है, कुछ और है, कुछ और जताने की हवस है… रोशन मनीष
वफा की डोर के बस छुटने से होती है, किसी अजीज के फिर रूठने से होती है…।
कुवर जावेद
हर घड़ी इश्क के खुमार में है, दिल कहां मेरे इख्तयार में है…।
-शफीक
जीतने का ये हुनर भी आजमाना चाहिए, भाइयों से जंग हो तो हार जाना चाहिए…
जौहर कानपुरी
लौटकर नहीं आता कब्र से कोई लेकिन, प्यार करने वालों को इंतजार रहता है…
शबीना अदीब
दीद को अब तरस्ती है आखें रात दिन, ये बरसती है आंखों, लौटकर घर चले आओ बेटे, जिन्दगी का भरोसा नहीं है..।
निकहत अमरोही