मंदसौर

औंधे मुंह गिरे प्याज के दाम, लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान, मंडी में 25 पैसे प्रतिकिलो के दाम से बिका प्याज

औंधे मुंह गिरे प्याज के दाम, लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान, मंडी में 25 पैसे प्रतिकिलो के दाम से बिका प्याज

मंदसौरMay 26, 2022 / 11:08 am

Nilesh Trivedi

प्याज के दाम रुला न पाए इसलिए मंथन सभाकक्ष में आज होगी मंत्रणा

मंदसौर.
गर्मी के मौसम में घर-घर में खाने का जायका बढ़ाने वाला प्याज इन दिनों मंडी में औंधे मुंह दाम गिरने के कारण खुद उपेक्षा का शिकार हो रहा है। मंडी में कई किसान तो ऐसे है जो अपना प्याज वहीं पर छोड़कर जा रहे है। बाजार में भी प्याज के दाम कम हुए है। प्याज के दाम कम होने से किसान परेशान हो रहे है और लागत भी नहीं निकल पा रही है। मंडी में प्याज पिछले एक सप्ताह से अपने न्यूनतम भाव में बिक रहा है।

प्याज की घटती कीमतों का आलम यह है किए मंदसौर मंडी में किसान द्वारा मेहनत कर उगाया हुआ प्याज को मंडी में ही छोड़कर जाने को मजबूर है। दरअसल किसानों को प्याज के इतने दाम भी नहीं मिल पा रहे है कि वे अपनी लागत मूल्य निकाल सके। कुछ वक्त पहले तक जिस प्याज के दाम आसमान छू रहे थे वही आज प्याज की कीमत किसानों को खून के आंसू रुला रही है। मंदसौर की कृषि उपज मंडी में उज्जैन और रतलाम जिले से प्याज लेकर आ रहे किसानों को दो से तीन दिन तक मंडी में रुकने के बाद भी प्याज के मात्र 25 रुपए क्विंटल यानी 25 पैसे प्रतिकिलो तक ही मिल पा रहे है। बेहतर क्वालिटी का प्याज भी कृषि उपज मंडी में 400 रुपए क्विंटल यानी 4 रुपए किलो से ज्यादा नहीं बिक रहा। परेशान किसान बता रहे है किए उन्हें उज्जैन से एक क्विंटल प्याज मंदसौर मंडी में लाने में ही 200 रुपए प्रति क्विंटल का खर्चा आ रहा है। जबकि एक क्विंटल प्याज बोने में ही किसान को एक हजार रुपए की लागत आती है।
लेकिन यहां उसी एक क्विंटल प्याज के मात्र 25 रुपए से 400 रुपए तक बड़ी मुश्किल से मिल पा रहे है। किसानों के अनुसार फसल का लागत मूल्य निकलना तो दूर वे अभी प्याज मंडी तक लाने का भाड़ा भी नही निकाल पा रहे है। किसानों की मांग है कि सरकार उनकी आय दुगुनी ना करें, लेकिन प्याज की घटती कीमतों को संभाल ले। ताकि किसान फसल का लागत मूल्य निकाल सके। किसान नारायण सिंह मूंदड़ा ने बताया कि प्याज की कीमत 25 पैसे किलो बिका। इसी तरह लवकुश कुमावत ने अपनी प्याज 25 पैसे किलो में बेची। किसान लीलाशंकर धाकड़ की परेशानी इसी तरह की है।

क्वालिटी के अनुसार होती है नीलामी
नीलामी के दौरान जींस की क्वालिटी के अनुसार व्यापारियों द्वारा बोली लगाई जाती है।नीलामी के दौरान बोली व्यापारी लगाते हैए ओर किसान की सहमति पर है पर्ची कटने से लेकर आगे की प्रक्रिया होती है।.जगदीश सिंह परमारए मंडी सचिव
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