भगवान श्री पशुपतिनाथ मंदिर की दानपेटियां मंदिर प्रबंध समिति द्वारा खोली गई। दानपेटी खोलने एवं गणना के दौरान जिला कोषालय अधिकारी ब्रजमोहन सुरावत भी उपस्थित थे। गणना में 2 हजार के , 500 और 100 के नोटके साथ सैकड़ों सिक्के,डॉलर और नेपाली मुद्राएं भी निकली हैं। चांदी के छोटे- मोटे आयटम प्राप्त हुए। गणना कार्यमें मंदिर कार्यालय से ओपी शर्मा, घनश्याम भावसार, दिनेश परमार, दिनेश बैरागी सहित कई लोग उपस्थित थे।
ऐसा है मंदिर का स्वरूप
पशुपतिनाथ मंदिर सम्पूर्ण विश्व का एकमात्र अष्टमुखी भगवान शिव की प्रतिमा वाला मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित है। चारों दिशाओं में मंदिर के दरवाजे हैं, प्रवेश द्वार केवल पश्चिम दिशा में ही खुलता है। मंदिर में 7.5 फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। प्रतिमा के ऊपर के चार मुख शिव के बाल्यकाल, युवावस्था, अधेडवस्था, वृधावस्था को प्रदर्शित करते है। यह मंदिर मंदसौर जिले का प्रमुख आकर्षण है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पशुपतिनाथ के मंदिर कई सदियों पहले निर्माण किया गया था। इस मंदिर के दो प्रमुख आकर्षण रहे हैं। शिवना नदी पर निर्मित मंदिर 90 फुट ऊंचा, 101 फुट लंबा और 30 फुट चैड़ा और इसके शीर्ष पर रखा 100 किलो का एक सुनहरा कलश है जिसकी आभा देखते ही बनती है ।
अष्ट मुखी शिवलिंग
संसार में शिव जी के अनेकों शिवलिंग लेकिन अष्ट मुखी शिवलिंग एक ही है! यह शिव के आठों मुख भगवान शिव के अष्ट तत्त्व को दर्शाते हैं! या यूँ कहें की यह नाम भगवान शिव के अष्ट मुखों के हैं।
इसलिए है महत्व
ऐसी मान्यता है कि विश्व में केवल मंदसौर में ही एक मात्र अष्टमुखी शिवलिंग हैं। यूं तो मंदसौर अति प्राचीन दशपुर नगरी है, लेकिन भूतभावन के नगर में प्रकट होने के बाद यह स्थल विश्व प्रसिद्ध हो गया। मां शिवना की गोद में भगवान पशुपतिनाथ कब समाए और किस काल में प्रतिमा निर्माण हुआ यह आज भी इतिहास के गर्भ में है। जब से शिवना तट पर अष्टमुखी भगवान की प्रतिमा विराजित हुई तब से यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में पहचाने जाने लगा है। राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसे मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर में विराजमान भगवान शिव की चार हजार साल पुरानी प्रतिमा को पर्यटन के नक्शे पर लाने के लिए मध्यप्रदेश में प्रशासनिक पहल हुई है ।