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सीएम का ‘माई के लाल’ शब्द पड़ गया भारी- शर्मा

locationमंदसौरPublished: Dec 09, 2018 05:48:12 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

सीएम का ‘माई के लाल’ शब्द पड़ गया भारी- शर्मा

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सीएम का ‘माई के लाल’ शब्द पड़ गया भारी- शर्मा

मंदसौर । पूर्वराज्यसभा सदस्य व भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने रविवार को मतगणना से पहले आई एग्जिट पोल को भाजपा के लिए चिंता का कारण बताया है। उन्होंने स्पष्ट रुप से कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा भावना में आकर कहा गया माई के लाल शब्द भाजपा के लिए भारी पड़ गया। सीएम के इन शब्दों को सवर्ण ने चुनौती मान लिया। कईसमाज इससे नाराज है। यदि ऐसा नहीं होता तो हमारी १०-१५ सीट और अधिक होती। जीत का श्रेय यदि मुख्यमंत्री जी को जाता है। क्योंकि उन्होंने बहुत परिश्रम किया है। यदि कमी रह जाती है तो दोष भी उनके खाते में ही जाएगा।परिणाम आने से ठीक पहले शर्माद्वारा अपनी ही पार्टी पर सीधे तो नहीं लेकिन व्यंगात्मक रुप से सवाल उठाए। एग्जिट पोल से ठीक पहले शर्मा का आया बयान पार्टी में ही चर्चा का विषय बन गया है।
भाजपा पीछे रहती है तो हम परिणामों की समीक्षा करेंगे
चुनाव परिणामों को लेकर चर्चाकरते हुए शर्माने कहा कि एग्जिट पोल में दो तीन चैनल हमें बहुमत दे रहे है तो दो-तीन चैनल ऐसे है जो कांग्रेस के पक्ष में जा रहे है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैकि लड़ाई बराबर की है। जिन लोगों ने परिश्रम किया है। उसके आधार पर यह कहा जा सकता है। खुद सीएम ने भी कहा है कि सबसे बड़ा सर्वेयर में हूं उन्होंने जो परिश्रम किया है। इसी के चलते उनको भी विश्वास है कि भाजपा को बहुमत प्राप्त होगा। यदि भाजपा पीछे रह जाती है तो हम परिणामों के बाद उसकी समीक्षा करेंगे।कारणों पर मंथन करेंगे।
सीएम के शब्द सरकार पर भारी पड़े
सीएम ने जो भाववेश में आकर कहा था कि कोईमाई का लाल। इन शब्दों को सवर्णों ने चुनौती माना है। यह शब्द सरकार पर भारी पड़ा है। कई ऐसे लोग है जो अभी भी इसे अपमाजनक मानते है।कईसमाज इसके विरोध में भी है। धर्माचार्यव संतो को भी लगता हैकि जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को भावना में आकर ऐसी बात नहीं करनी चाहिए। हमें भी ऐसा लगता है कि यह अहंकार व दंभ से भरी बात है। जितनी बड़ी जिम्मेदारी व्यक्ति पर होती है। उसे उतने संतुलित शब्दों में बात करनी होती है। जिम्मेदार व्यक्ति को आवेश ही नहीं भावावेश में आकर भी बोलने की जरुरत नहीं। इसका नुकसान हो रहा है। भावाना में बह कर ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करते तो हम १०-१५ सीट और बढ़ा सकते थे।ऐसी स्थिति में अनिश्चितता की स्थिति नहीं बनती।
सामुहिकता की बजाए व्यक्तिवाद को प्राथमिकता दी
इतना ही नहीं शर्माने कहा कि एग्जिट पोल हमारे लिए चिंता का विषय है। कांग्रेस का संगठन अभी भी कही नहीं है। वह मृत पड़ी थी। कुछ कारणों से कांग्रेस प्राणवायु पा गई। और वह अस्तिव में आ गई। यदि हम अधिक सावधानी और सामुहिक नेतृत्व बनाकर चलते निर्णयों में सामुहिकता होती। तो स्थितियां कुछ और होती।हमनें व्यक्तिवाद को प्राथमिकता दे दी।जिसके कारण हम अपनी परंपरागत संगठन शक्ति से कमजोर नजर आते है। यदि कमजोरी प्रकट हुई तो फिर से भाजपा पूरानी परंपरा और संगठन की शक्ति के आधार पर काम करते हुए समाज में फिर से स्थान बनाएगी।
कमजोर आर्थिक मोर्चे का भुगतना पड़ सकता हैखामियाजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर शर्माने कहा कि आजादी के बाद कोईऐसा प्रधानमंत्री नहीं हुआ। जिसने देश के सम्मान को इतना ऊंचा पहुंचाया है। मोदी ने देश के सम्मान को ऊंचाई दी है। वह हर मोर्च पर सफल रहे है। सुरक्षा की दृष्टि से भी सरकार ने बेहतर काम किया है। सिर्फ आर्थिक मोर्चा हमारा कमजोर रहा है। इसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ सकता है।

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