मंदसौरPublished: Dec 18, 2018 05:35:25 pm
harinath dwivedi
पहली बार इस एप से होगी गिद्धों की गणना
पहली बार इस एप से होगी गिद्धों की गणना
मंदसौर । हर बार की तरह एक बार फिर गिद्धों (वल्र्चस) की प्रजाति पर नजर रखने के लिए वन अमला सक्रिय हुआ है। जनवरी-2019 में पूरे प्रदेश में गिद्धो की गणना की जाना है। प्रदेशभर में इसके लिए 8 8 5 स्थान चिन्हित किए गए हैं। इसके साथ ही गिद्धो की कौन- कौन सी प्रजाति मध्यप्रदेश में है, इसकी जानकारी भी पता की जाना है। इसके लिए कार्रवाई प्रारंभ हो गई है। इस बार गिद्धो की गणना के लिए मप्र शासन ने नया एप लांच किया है, ‘वल्र्चस ऑफ मध्यप्रदेश’ नाम के इस एप में गिद्धो की फोटो, प्रजाति, जीपीएस से मिनट टू मिनट की लोकेशन सहित अन्य जानकारी भेजी जाएगी। मंगलवार को जिले भर के वनकर्मीउज्जैन पहुंचेंगे। यहां उज्जैन वृत्त के तहत अधिकारियों व कर्मचारियों को गिद्धो की गणना कैसे करनी है, इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। गिद्धो की गणना ११ व १२ जनवरी २०१९ को होगी। उल्लेखनीय हैकि प्रदेश में अब तक हुईगणना में सर्वाधिक गिद्ध मंदसौर जिले के ३६८.६२ वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में फैले गांधीसागर अभ्यारण्य में ही पाए गए है।
हिमालय से गांधीसागर आता हैग्रिफान गिद्ध
पिछले वर्ष हुईगिद्धो की गणना में वन विभाग को ६८२ गिद्ध मिले थे। इसमें ५ प्रजाति के गिद्ध शामिल थे। इसमें सर्वाधिक संख्या देशी गिद्धों की थी। गिद्धो की गणना के दौरान यहां एक नई प्रजाति भी मिली थी। जिसे हिमालयन ग्रिफान कहते है। इस गिद्ध की अधिक संख्या हिमालय में ही पाई जाती है। यह गिद्ध अप्रवासी होकर हिमालय से गांधीसागर अभ्यारण्य में विचरण के लिए प्रतिवर्षआता है। गांधीसागर अभ्यारण्य में ठंड का मौसम गिद्धो के लिए अनुकूल होता है। ऐसे में इस प्रजाति के गिद्ध को गांधीसागर अभ्यारण्य का वातावरण पसंद है। इसके अलावा यहां इंडियन वल्चर या लांग बिल्ड वल्चर (भारतीय या देशी गिद्ध), इजिप्शन या स्केवेंजर वल्चर, व्हाई बैक्ड वल्चर (सफेद पीठ), किंग वल्चर या रेड हैडेड वल्चर, हिमालयन ग्रिफोन भी पाए गए है।
वन विभाग अमला करेगा मॉक एक्सरसाइज
गिद्ध गणना के दौरान स्थान और समय का विशेष महत्व होता है ताकि गणना में सटीक जानकारी प्राप्त हो सके। इसी बात को ध्यान में रखकर ८ दिसंबर को उज्जैन में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें जिले के प्रभारी, बीट गार्ड, डिप्टी रैंजर, रैंजर, एसडीओ शामिल होंगे। गणना के दो दिन पहले वन विभाग गांधीसागर अभ्यारण्य में मॉक एक्सरसाइज करेगा, इसमें अधिकारियों व कर्मचारियों को गणना में आ रही परेशानियों को नोट कर समस्या का निराकरण किया जाएगा। ताकि गणना वाले दिन कोईभी परेशानी ना आएं।
ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन से कम हुई प्रजाति
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कुछ साल पहले लगातार गिद्धो की लगातार मौत से गिद्धों की प्रजाति विलुप्तता की कगार पर पहुंच गई थी। इसका कारण यह सामने आया था कि गिद्ध जिन शव को खाते थे उनमें जानलेवा जहर ऑक्सीटोसिन का प्रभाव। कुछ साल पहले तक गाय व भैंस में दूध बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन दिया जाता था। इन पालतु मवेशियों की मौत के बाद शव में इस इंजेक्शन का असर रह जाने से शव को खाने वाले कई गिद्धों की असमय मौत होने लगी थी। गिद्धों की तेजी से हो रही मौतों के बाद मवेशियों को दी जाने वाली ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बाद भी परोक्ष- अपरोक्ष रुप से इंजेक्शन के उपयोग की जानकारी आती रही है।
पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में गिद्धों की अहम भूमिका
विशेषज्ञों के अनुसार गिद्धों को प्रकृति का सफाईकर्मी कहा जाता है। गिद्ध गणना का मानव जीवन पर प्रभाव की बात करें तों गिद्ध वह पक्षी है जो पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मवेशियों की मौत के बाद उसके शव को यह पक्षी पूरी तरह से खाकर साफ कर देता है। इससे पर्यावरण व हमारे आसपास शवों के संक्रमण से फैलने वाली बीमारी की आशंका कम हो जाती है। लेकिन गिद्धों के न होने से टीबी, एंथ्रेक्स, खुर पका-मुंह पका जैसे रोगों के फैलने की काफी आशंका रहती है। इसके अलावा चूहे और आवारा श्वान जैसे दूसरे जीवों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई। इन्होंने बीमारियों के वाहक के रूप में इन्हें फैलाने का काम किया।
इनका कहना…
गिद्धों को प्रकृति का सफाईकर्मी कहा जाता है। पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में इसकी अहम भूमिका है। ११ व १२ जनवरी को गिद्धो की गणना पूरे प्रदेश में एक साथ होगी। अधिकारियों व कर्मचारियों को इसके लिए १८ दिसंबर को उज्जैन में प्रशिक्षण दिया जाना है। अब तक प्रदेश में सर्वाधिक गिद्ध गांधीसागर अभ्यारण्य में ही मिले है। इस बार वल्र्चर ऑफ मध्यप्रदेश एप के जरिए गिद्धो की गणना वन अमले द्वारा की जाएगी।
– मयंक चांदीवाल, डीएफओ, मंदसौर