मंदसौरPublished: Jan 07, 2019 07:41:24 pm
harinath dwivedi
600 नंबर के लिए टीम ने 6 घंटे किया जिला अस्पताल का निरीक्षण
600 नंबर के लिए टीम ने 6 घंटे किया जिला अस्पताल का निरीक्षण
मंदसौर । कायाकल्प अभियान के तहत सोमवार को टीम जिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंची। ६०० अंको के लिए यहां आई टीम ने जिला अस्पताल में करीब ६ घंटे तक निरीक्षण किया। इस दौरान ओपीडी से लेकर पुरुष-महिला वार्ड और भोजनशाला से लेकर ओटी के अलावा हर एक चैंबर में पहुंचकर देखा। टीम यहां भवन के इंफ्राटेक्चर के अलावा यहां की प्रक्रिया को देखने पहुंची। इसमें तय मानको के आधार पर अस्पताल को नंबर मिलेंगे। टीम ने यहां जो भी देखा उसके कागजों में लिख लिया। अब कितने नंबर मिलते है। यह सभी जगह के सर्वे के बाद आने वाली रिपोर्ट में पता चलेगा।आगामी दिनों ंमें भी शामगढ़ सहित जिले के अन्य जगह यह टीम निरीक्षण के लिए जाएगी।टीम के आने से पहले ही अस्पताल प्रबंधन ने बेहतर नंबर हासिल करने के लिए पूरे अस्पताल का कायाकल्प कर दिया। सफाईसे लेकर इंतजाम और स्टॉफ भी एप्रिन से लेकर संक्रमण से बचने के तमाम इंतजाम से चाक-चौबंध दिखा। दो सदस्यों की टीम के आने से पूरा अस्पताल का कायाकल्प दिखा। जब तक निरीक्षण चला मरीजों के अधिक परिजन जो हर दिन यहां जमा रहते है, उन्हें भी बाहर कर दिया गया। अधिक नंबर हासिल करने के लिए अस्पताल को ऐसा तैयार किया गया।मानों यह सरकारी नहीं निजी हॉस्पीटल हो। जहां इतनी बेहतर सुविधा और इंतजाम हो। ऐसी टीम आए दिन आती रहे और ऐसा जिला अस्पताल हर दिन हो जाए तो मरीजों को बेहतर सुविधा व उपचार के साथ यहां आने वाले लोगों को जितनी भी देर वह अस्पताल में रहे, उन्हें बेहतर माहौल मिल सकेगा। दिनभर चले निरीक्षण के दौरान हर इंतजाम यहां बेहतर मिलें।
कैसे बुझाओगे आग, कहा से भागोगे
इतना बड़ा अस्पताल है, दिनभर आप यहां ड्यूटी देते हो, सैकड़ो मरीज व परिजन यहां प्रतिदिन आते है। यदि यहां आग लग जाएं तो क्या करोगे। अग्निशमन यंत्र चलाना आता है या नहीं। कैसे चलाओंगे। आग लगेगी तो इससे कैसे बुझाओगे। कहा से बाहर जाओंगे। हड़बड़ाहट में कन्फ्यूज तो नहीं हो जाओंगे। यह बात कायाकल्प अभियान के तहत आई दो सदस्यों की टीम ने स्टॉफ से पूछी।उन्होंने अग्निशामक यंत्र चलवाकर ट्रायल भी करवाया। वार्डों में मरीजों से पूछा कितनी बार पौछा लगता है। बेडशीट रोज बदलते हैया नहीं। मच्छर तो नहीं काटते। सफाई कैसे रहती है। उपचार कैसे होता है।राउंड लेने कोई आता है या नहीं।जो पौछा लगा रहे उनसे पौछा कितनी बार लगाते हो, कैसे लगाते हो। फिनाईल मिलाते हो या नहीं। भोजनशाला में पहुंचे तो भोजन बनाने के तरीके और यहां सफाई देखी। यहां नाश्ता किया तो यहीं कहा कि जो मरीजों को रोज मिलता है। वहीं हमें भी देना।अलग से कुछ नहीं।मरीजों से पूछा की चिकित्सको व स्टॉफ का व्यवहार कैसा होता है। कोई राशि की मांग तो नहीं करता है। समय पर सुविधाएं मिलती है या नहीं। शौचालय में सफाई कैसे रहती है। निरीक्षण करने आई टीम के साथ आरएमओ डॉ सौरभ मंडवारिया साथ में थे।
यह देखा टीम ने
टीम के सदस्यों का कहना था कि विशेष स्वच्छता और फिर यहां के रखरखाव है। इसमें भवन की स्थिति, इसके रखरखाव और यहां होने वाली सफाई, बॉयोवेस्ट के साथ वार्डों की स्थिति, मरीजो को मिलने वाला उपचार व यहां चल रही सुविधाओं की स्थिति और इसके प्रकार के अलावा यहां उद्यान के अलावा अन्य कईबिंदुओं के आधार पर निरीक्षण किया। इसकी रिपोर्टभेजी जाएगी। जिन मानको पर अस्पताल खरा उतरा है।उनके नंबर मिलेंगे।इसमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय को पुरुस्कार राशि मिलेंगी तो १० जिले ऐसे भी रहेंगे जिन्हें सात्वना पुरुस्कार भी मिलेगा।
सबकुछ अच्छा दिखाने की कोशिश में लगा रहा प्रबंधन
कायाकल्प टीम को पूरा अस्पताल बेहतर दिखाने के लिए अस्पताल प्रबंधन पूरे समय लगा रहा।और हम मुमकिन कोशिश भी की। हर दिन मरीजों के जो परिजन अंदर ही रहते है, उन्हें बाहर किया गया। जब तक टीम का निरीक्षण चला उन्हें बाहर ही खड़ा रखा गया है। इस दौरान अधिकांश मरीजों के परिजन बाहर खड़े-खड़े इंतजार करते नजर आए तो पूरे समय सफाई कर्मचारियों से पौछा लगवाने का काम भी जारी रहा। एक कक्ष में टीम पहुंचती तो पास में दूसरे कक्ष में पौछा लगता रहा। इस तरह पूरे समय अस्पताल के हर वार्डऔर बरामदें में टीम के निरीक्षण के दौरान पौछा लगने का दौर जारी रहा।