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मनुष्य के जीवन में अहंकार ही उसके विनाश का मुख्य कारण बनता है

locationमंदसौरPublished: Feb 02, 2019 07:22:33 pm

Submitted by:

Jagdish Vasuniya

मनुष्य के जीवन में अहंकार ही उसके विनाश का मुख्य कारण बनता है

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मनुष्य के जीवन में अहंकार ही उसके विनाश का मुख्य कारण बनता है

मंदसौर । शामगढ़ श्री हनुमान झंडा महोत्सव के अवसर पर भागवत कथा के आयोजन में दूसरे दिन शनिवार को हनुमंत भागवत कर्मकांड परिषद के संस्थापक एवं भागवताचार्य मुकेश शर्मा नारायण ने कहा अपने विनाश एवं पतन का दूसरों को दोषी ठहराता है मनुष्य लेकिन उसके विनाश एवं पतन का मुख्य कारण उसका अहंकार बनता है। इस अहंकार में मनुष्य स्वयं को सर्वश्रेष्ठ घोषित करने के लिए व समस्त मार्ग अपनाता है। इससे मनुष्य का पतन निश्चित होता है। इस दुनिया में स्वयं को सबसे धनवान बनने के लिए हर गलत मार्ग से धन संचय करने का प्रयास करता है। वह अपने इस अहंकार में ही स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए अपने से बड़ो का भी अपमान कर बैठता है। इसलिए अहंकार में अपने माता पिता अपने गुरू व संत ब्राह्यण व समाजजनों का भी कई बार मनुष्य अपमान कर बैठता है जो इससे बड़ा पाप नहीं इसलिए अहंकार में मनुष्य को सिर्फ यह ज्ञात होता है कि मेरा निर्णय ही सर्वमान्य है। बाकी सब इस दुनिया अज्ञानी लेकिन मनुष्य के जीवन विनाश एवं पतन का मुख्य कारण उसका अहंकार ही बनता है।
चौरासी लाख यौनीयों को पार करने के बाद यह मनुष्य जीवन प्राप्त होता है इस कारण अपना यह मनुष्य जीवन ऐसे ही व्यर्थ ना चला जाए। संतो ंके सान्निध्य में भागवत कथा का सच्चा श्रवण कर अपने इस मनुष्य जीवन के मोक्ष का मार्ग तय कर लें। बस एक यही मार्ग है इस मनुष्य जीवन को भव सागर से पार करने का की अपने जीवन में अंनत बार भागवत कथा का सच्चा श्रवण प्राप्त कर लें। ज्ञान प्राप्त करने की कोई सीमा नहीं होती अपने जीवन में जितनी बार भागवत कथा का सच्चा श्रवण किया जाए वह हर समय हमें भगवान की भक्ति के रूप में ही प्राप्त होगा। संचालन शिवलाल सोनी ने किया।

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